हस्ताक्षर साहित्य समिति दल्लीराजहरा द्वारा शरद पूर्णिमा के पावन पर्व पर सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन स्थानीय निषाद समाज भवन में किया
29/10/2023 दिन रविवार को हस्ताक्षर साहित्य समिति दल्लीराजहरा द्वारा शरद पूर्णिमा के पावन पर्व पर सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन स्थानीय निषाद समाज भवन में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संतोष ठाकुर ने की एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आचार्य जे आर मंहिलांगे थे।
शरद पूर्णिमा पर विचार गोष्ठी में आचार्य मंहिलांगे ने अपने विचार रखते हुए कहा कि शरद पूर्णिमा को चन्द्रमा अपनी 16 कलाओं से धरती पर अमृत की वर्षा करते हैं।ये किरणें सेहत के लिए लाभदायक होती हैं। इसीलिए चंद्र किरणों के बीच खीर रख कर उसका सेवन किया जाता है।सूर्य का दक्षिणायन हो जाता है।
इसी क्रम में सरिता सिंह गौतम ने अपने विचारों के माध्यम से संदेश दिया कि- वर्ष में दो संपात होते हैं, बसंत संपात और शरद संपात। बसंत संपात में ग्रीष्म का आरंभ होता है, और शरद संपात में शीत का। दोनों संपातो में शुक्ल पक्ष के नवरात्र होते हैं, शक्ति की आराधना होती है।शरद संपात में शक्ति की आराधना के साथ गोपाष्टमी रास की पूर्णिमा और शिखर उत्सव दीपावली मनाई जाती है।ये सभी उत्सव सामान्य जीवन से संबंधित हैं और जीवन में उमंग और खुशियां लेकर आते हैं।शरद ऋतु शक्ति संचय की ऋतु है। आयुर्वेद में इस ऋतु को माता की संज्ञा दी गई है।यह ऋतु माता के सामान पोषण करती है।बल और ओज प्रदान करती है। चंन्द्र बल में उत्तरोत्तर बढ़ने लगता है। मधुर रसों में वृद्धि होती है। चन्द्रमा मनसो जाता: चंन्द्रमा को मन का देवता कहा जाता है, अतःलेखन विधा से जुड़े हुए लोग चन्द्रमा से प्रभावित होते हैं, क्योंकि साहित्यकार संवेदनशील होते हैं। अतः आप सभी की लेखनी सतत रूप से अच्छे साहित्य का सृजन करती रहे। आप सभी समाज को नई दिशा प्रदान करने में सक्षम हों,यही शुभकामनाएं हैं।
विचार गोष्ठी उपरांत काव्य गोष्ठी में अजित तिवारी ने-तू ग़ज़ल गुनगुनाऊं कैसे के माध्यम से बहुत सुंदर रचना सुना कर सबका दिल जीत लिया।
कामता प्रसाद देशलहरा ने बनिहार के माध्यम से धान की फसल काटने का बखूबी चित्रण किया।
तामसिंह पारकर ने चुनाव पर सामयिक व्यंग रचना सुना कर तालियां बटोरी -चमचों को नेता भी भगवान से बड़े लगते हैं।
शोभा बेंजामिन की 'एकता' पर व्यंग रचना को सबने सराहा।
वरिष्ठ साहित्यकार जनाब लतीफ़ खान ने गांव पर मार्मिक रचना सुना कर सबको सोचने पर मजबूर कर दिया-
पहले जैसे यारों अब तो गांव के मंज़र नहीं रहे,
मिट्टी की खु़श्बू से जो महके, गांव में वो घर नहीं रहे।
शमीम अहमद शिद्दिकी ने प्रेम से परमात्मा को पाया जा सकता है इस पर अपनी सुंदर रचना सुनाई-जब कभी हम प्रेम में विहृल हुए,
तब कहीं जा कर सरल,निर्मल हुए
प्रेम ही पूर्ण परात्पर ब्रम्ह है,
पास गए जो निष्कपट निश्चल हुए।
सरिता सिंह गौतम ने तरन्नुम में उम्दा ग़ज़ल सुनाई जिसे सब बहुत पसंद किए- इस मुल्क में अमन की बहती रहे हवा, करिएगा आप सबके सुख चैन की दुआ।संतोष ठाकुर सरल ने संत ज्ञानी पवन दीवान को समर्पित रचना से सबको प्रभावित किया। छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना जिनका सपना था
गोविन्द कुट्टी पणिकर ने-
दुःख में भी सुख की आरज़ू करता है आदमी,
जीने की धुन में रोज मरता है आदमी, शसक्त रचना का पाठ किया।
राजेश्वरी ठाकुर की रचना की बानगी प्रकार रही- दिल की बातें कहें तो किससे कहें,शायद तुमसे हां मेरा भी हक है,उस सच्चे प्रेम पर।
आनंद बोरकर ने प्रेम को कुछ इस तरह परिभाषित किया-
प्यार खुदा का बनाया हसीन जज्बा है,
जो हर इंसान के दिल में होता है।
कार्यक्रम का सुंदर संचालन आनंद बोरकर ने और आभार प्रदर्शन तामसिंह पारकर ने किया।