बिन संस्कार नहीं सहकार - बिन सहकार नहीं उद्धार "सहकारी आंदोलन के प्रजातांत्रिक - आर्थिक सुदृढ़ीकरण के हिमायती और कांग्रेस के कुचक्र की जेल यात्रा"
उच्च न्यायालय द्वारा दिनांक 27.09.2023 में MCRC No. (एमसीआरसी) नं. - 5668 / 2023 के अपराध अंतर्गत धारा 409, 420, 467, 468, 471 भादवि में जमानत प्रदान की गई है जो बड़ी न्यायिक जीत है। सरकार के नौकरशाह यह जानते हुए भी कि धारा 53 (2) को-आपरेटिव्ह सोसायटीज एक्ट एवं धारा 58 बी के तहत एक मनगढ़ंत और झुठे आरोप पर एक सिविल प्रकरण पहले से ही संबंधित न्यायालय में लंबित होने के बावजूद आपराधिक दर्ज प्रकरण दर्ज किया गया है।
मार्च 2021 में दर्ज एफआईआर में उच्च न्यायालय से प्रोटक्शन मिला हुआ था और समयावधि में जाँच कराने आदेश दिया गया था जिसका भी पुलिस प्रशासन ने पालन नहीं किया और हाईकोर्ट में फैसला तारीख के एक दिन पूर्व कांग्रेस के 'फूट डालो और राज करो की नीति में पुलिस प्रशासन संचालकों को छोड़कर मुझे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया जिस संदर्भ में मेरे द्वारा अवमानना याचिका पुलिस अधीक्षक के खिलाफ लगाई गई तदुपंरात चालान में भी आरोपित करोड़ो रूपये की राशि पर एक रूपये का भी गबन का साक्ष्य दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाये जबकि डेढ़ वर्षों के दौरान सरकार द्वारा "चॉवल से कंकड़ हटाने की भाँति द्वारा पूरे बैंक को खंगाला गया इससे बड़ी असफलता और सरकार की क्या हो सकती है। और भविष्य में सहकारिता के माध्यम से किसानों पर होने वाले प्रत्येक गंदी राजनीति का मर्यादा और न्याय में रहकर संघर्ष जारी रहेगी। आज किसानों की सहकारी संस्थाएँ चाहे बैंक हो या सेवा सहकारी समितियाँ हो सरकार के हाथों गिरवी है और हमारे नेतृत्व में तीनों जिले के संस्थाओं को जो मध्यप्रदेश के विभाजन पश्चात् माली हालत में मिली थी को सामूहिक नेतृत्व पर चलते हुए जो आर्थिक सुदृढ़ और सर्वस्पर्शी बनाए थे। जिसके कारण कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार को पूरी तरह बदले की भावना से 4 पुर्वजों की संस्कृति का अपमान करने वाली सरकार बन गई है। आज हम दावे के साथ कहने की स्थिति में वर्तमान सरकार के नेतृत्वकर्ता सहकारिता के क्षेत्र में अपने जीते जी हमारी टीम ने जो कम समय में कार्य किये है वह ये लोग न पूर्व में किये थे और न ही कमी कर पाएंगे।
सहकारिता को कलंकित करने वाले महत्वपूर्ण प्रश्न प्रकाश चंद्र सेठी, पंडित श्यामाचरण शुक्ल, अर्जुन सिंह, मोतीलाल वोरा, दिग्विजय सिंह, अजीत जोगी और भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री के कार्यकाल की चर्चा आवश्यक है नई पीढ़ियों के नौजवानों के लिये ।
01. 2020 में मेरे तीसरे कार्यकाल के समाप्त होने के पूर्व निर्वाचन संबंधी प्रस्ताव पर हाईकोर्ट के सिंगल बेंच, डबल बेंच के निर्णय और सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में चुनौती याचिका में पराजित होना ।
02. सहकारी अधिनियम अनुसार सेवा सहकारी समितियों के निर्वाचन जो प्रारंभ हो चुका था जिसे सरकार द्वारा ही स्टे कराकर, प्रजातांत्रिक प्रणाली की हत्या जबकि छ.ग. विभाजन के बाद निर्वाचित भाजपा सरकार द्वारा 2007. 2012 और 2017 में नियमित निर्वाचनकर्ता भाजपा की किसानों के साथ न्याय उल्टा "पैंसो का लेन देन कर मनोनीत करने का मामला विधानसभा के चर्चा में" इस तरह मजबूत सहकारिता को नौसिखियों और सहकारिता के अ, ब, स, द नहीं जानने वालों को मनोनयन कांग्रेस को कलंक से नहीं बचा पाएगा उल्टा निर्वाचित पदाधिकारियों को जेल भेजने की धमकी देने वाले कलेक्टर को बेल के लाले पड़े हैं शर्म की बात ।
03.भाजपा के सहकारिता पदाधिकारियों को बदनाम और कमजोर करने के लिये सहकारी अधिनियम से पुर्वजों के भावना के विपरीत संशोधन ।
04. वर्ष 2011 के विधानसभा में कांग्रेसी विधायकों द्वारा दूरगामी सोच पर पंजीकृत संस्था भ्रूण हत्या का प्रयास
05. ग्यारह माह पहले 14 नवंबर नेहरूजी के जन्मदिन पर तीनों जिले सहकारी कार्यकर्ताओं द्वारा आयुक्त दुर्ग संभाग को जिला सहकारी बैंक के क्रिया कलापों की आठ बिंदुओं पर जांच संबंधी ज्ञापन की जॉच ? जिसमें तालपत्री, सुतली, घेरू, ट्रांसफर पोस्टिंग में उगाही एवं सहकारिता में कांग्रेस भाजपा के समय की विशेष आडिट की मांग का जवाब चाहिये, जवाहर वर्मा को हटाना और राजेन्द्र साहू का मनोनयन सहकारी क्षेत्र में इनके कृत्यों की अब जनजागरण आवश्यक हो गया है।