बदलाव हो तो पूरी भ्रष्ट राजनीति का: क्या कमलकांत साहू होंगे संजारी बालोद के नए विधायक?
लोकतंत्र में आम मतदाता सर्वोपरि माने जाते हैं। संजारी बालोद के विधायक चुनने की बात हो तो मतदाताओं के सामने प्रत्याशियों की सूची सामने है। 100 प्रतिशत मतदान की अपेक्षा के साथ चुनाव 17 नवंबर को होना है।
एक ओर जहां कांग्रेस और भाजपा के कार्यकर्ता अपने प्रत्याशियों की छवि को लेकर चिंतित हैं तो दूसरी ओर निर्दलीय प्रत्याशियों का व्यक्तित्व मतदाताओं के सामने विकल्प के रूप में मौजूद है। ऐसे में देखना यह है कि संजारी बालोद के अगले विधायक के रूप में कौन सा चेहरा सामने आएगा। ध्यान रखने लायक बात यह भी है कि कांग्रेस और भाजपा अपनी ही पार्टी की गुटबाजियों से उबर नहीं पाई है। एक ही दल चार या छह धड़ों में बिखरे हुए हैं। आपसी खींचातानी में वे पार्टी के उम्मीदवार का रोड़ा बने हुए हैं।
साहू समाज द्वारा समर्थित प्रत्याशी भी कांग्रेस पार्टी की ही हैं। टिकट न मिल पाने की हताशा से वे समाज के सामने अपना समर्थन मांगने लगी हुई है। समाज के अंदर ही संजारी बालोद विधानसभा चुनाव में अधिकृत प्रत्याशियों की सूची में साहू समाज के 6 प्रत्याशी मैदान पर अपना भाग्य आजमा रहे हैं। साहू समाज से 6 प्रत्याशियों के चलते समाज समर्थित प्रत्याशी को कितना समर्थन मिल पाएगा यह समय ही बताएगा। वैसे लोगों का मानना यह है कि आज तक किसी भी समाज ने राजनीति में किसी एक नेता को अपना समर्थन नहीं दिया है। वे जानते हैं कि यदि कोई समाज किसी एक प्रत्याशी के समर्थन में पत्र जारी करे तो यह चुनाव आचार संहिता का खुला उल्लंघन माना जाता है। लोकतंत्र में मतदान के लिए किसी भी प्रकार का दबाव गैरकानूनी होता है चाहे वह सामाजिक दबाव क्यों ना हो। ऐसे में समाज साहू समाज के पदाधिकारीयों पर कानूनी कार्रवाई का खतरा भी मंडराने लगा है।
आम मतदाताओं का मनोविज्ञान यदि देखें तो सबसे अधिक योग्य और सक्षम प्रत्याशी को विधायक पद हेतु चुना जाएगा। वर्तमान में संजारी बालोद की महिला विधायक हैं। बदलाव की दृष्टिकोण से महिला प्रत्याशी के बजाय किसी पुरुष को विधायक बनाए जाने पर लोगों का रूझान होगा। क्षेत्र की दृष्टि से देखें तो इस बार पूरे विधानसभा में बालोद से विधायक बनाए जाने पर लोगों की रुचि अधिक होगी।
कमलकांत साहू पेट्रोल पंप चुनाव चिन्ह के साथ निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव में हैं। मजेदार बात यह है कि उनका स्वयं का पेट्रोल पंप बालोद के लाटाबोड़ गांव में है और उनका चुनाव चिन्ह भी पेट्रोल पम्प है।
एक ओर लाटाबोड़ जहां उनका मामा गांव है वहीं उनका जन्म स्थान बालोद है जहां उनका पूरा परिवार शहर में चिर परिचित है। हेड मास्टर के रूप में उनके पिता श्री मोहनलाल साहू को क्षेत्र की जनता भली भांति जानती है तो उनके नाना स्वर्गीय हिंछाराम साहू भी अंग्रेजों के जमाने के हेड मास्टर रहे हैं।
कमलकांत साहू ने बालोद में सेंट कबीर्स पब्लिक स्कूल की स्थापना भी की है। बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड में अनेकों वर्ष हाई फाई इंग्लिश मीडियम स्कूलों में अपनी सेवाएं देने के बाद आठ वर्षो तक प्रिंसिपल और डायरेक्टर के बतौर अपने स्वयं के स्कूल में पूर्णकालिक कार्य किया। साथ ही पूरे जिले के निजी विद्यालयों के संगठन में अध्यक्ष पद पर भी रहे। उनकी फर्राटेदार इंग्लिश सुनकर लोग प्रसन्नचित हो जाते हैं।
कमल कांत साहू बालोद जिला पेट्रोल पंप डीलर्स एसोसिएशन के वर्तमान में कार्यकारी अध्यक्ष हैं। छत्तीसगढ़ी, हिंदी और इंग्लिश समान रूप से धारा प्रवाह बोलने में वे सक्षम है। वे बालोद शहर के एक संभ्रांत परिवार से तो आते ही हैं एक उच्च शिक्षित, भरोसेमंद नेता के रूप में भी उन्होंने ओबीसी विंग के प्रदेश अध्यक्ष पद पर रहते पूरे प्रदेश में अपनी पहचान बनाई हुई है। रायपुर शहर में कई राजनीतिक प्रदर्शनों में उन्होंने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई है। साहू समाज, मोवा, रायपुर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भी हैं। अपने मिलनसार और आत्मीय स्वभाव के कारण वे शीघ्र ही लोगों को अपनी उपस्थिति का एहसास दिला देते हैं।
मतदाताओं की भावनाओं को समझते हुए उनका कहना है कि अब नहीं सहेंगे, बदल के रहेंगे लेकिन बदलाव हो तो पूरी भ्रष्ट राजनीति का। राजनीतिक सोच में बदलाव होना आवश्यक है। संजारी बालोद का सौभाग्य ही होगा कि कमलकांत साहू जैसे योग्य नेता विधायक बनें। राजनीति के चाणक्य भी संजारी बालोद विधानसभा क्षेत्र को पूरे छत्तीसगढ़ की राजनीति में बदलाव लाने की लहर का संकेत मानने लगे हैं।