खरोरा में आंवला नवमी धूमधाम से मनाया गया
खरोरा: आँवला नवमी के शुभ अवसर पर भरत देवांगन शासकीय उत्कृष्ट हिंदी, अंग्रेजी माध्यम विद्यालय खरोरा में आंवला वृक्ष का पूजा अर्चना किया गया व स्टॉफ टीवी के सदस्य परिक्रमा कर सर्व जन के लिये भगवान विष्णु से खुशहाली व उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करने प्रार्थना की।कार्यक्रम की संयोजक शाहिना परवीन व्याख्याता थी।इस अवसर पर प्राचार्य रजनी मिंज ने कहा कि मानव व वृक्ष
एक दूसरे पर आश्रित है मानव का प्रकृति के बीच जाकर प्रकृति को समझना और प्रकृति का सम्मान करने की समझ विकसित करने का भी एक माध्यम है। इस अवसर पर विद्यालय के उपप्राचार्य हरीश देवांगन ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि आंवले को हर्रा और बहेड़ा के साथ मिलाकर त्रिफ़ला चूर्ण बनाया जाता है जो आयुर्वेद की सबसे पुरानी, सहज व विश्वसनीय औषधि है। इस कार्यक्रम में प्राचार्य रजनी मिंज, उपप्राचार्य हरीश देवांगन, व्याख्याता पी देवांगन, शाहिना परवीन, डोमार यादव, महेन्द्र साहू, रजनी त्रिपाठी, रीता रानी वर्मा, सुनीता सिंह, श्वेता शर्मा, संगीता नायक, नीतू यादव, सी खरे, जयंती साहू,तान्या भट्टाचार्य, नेहा राठौड़,मोंगरा साहू,गीतांजलि पान, शिवांगी निषाद, अमर बर्मन, प्रवीण पाटिल, धनेन्द्र आडिल, निशिता dixit,रूप शिखा साहू, शैलजा गौतम,अपूर्वा ओगरे,पावस पटेल,अनिल कुमार, योगिता देवांगन,कृतिका वर्मा, लोकेश्वर उइके, पवित्री साहू,विक्रम आडिल, आकाश परिहार सहित छात्र व समस्त स्टाफ उपस्थित थे।पी देवांगन ने आँवला नवमी के धर्मिक महत्व को विस्तार से बताया।रजनी त्रिपाठी ,श्वेता शर्मा ने विधि विधान से पूजा अर्चना किया।व आँवला के महत्व को आप दोनों ने उदाहरण सहित बताया। शाहिना परवीन ने जानकारी देते हुए विभिन्न व्यंजनों आँवले से किस प्रकार बनाया जाता है, विस्तार से जानकारी दी।
आँवले से स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाये जाते हैं। आंवले की चटपटी चटनी का स्वाद कैसे भूल सकते हैं। ये मिल जाये तो फिर किसी सब्जी या दाल की आवश्यकता महसूस नही होती। बस रोटियों पर लगाइये, रोल कीजिये और फिर शुरू हो जाइये। आँवले का अचार तो मुँह का स्वाद बनाने के लिए जाना ही जाता है। और मुरब्बा भी किसी से कोई कम नही है।
आँवले की सुपारी और किसा हुआ बुरादा भी भारतीय रसोई की पहचान है। आँवले के जूस को लोग जूस के बजाए दवा की तरह ही पीना पसंद करते हैं। यूँ तो आँवला एक फल से कहीं अधिक सर्वोत्तम औषधियों में शामिल है। लेकिन इसके धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी कम नही है। संगीता नायक ने अपने उदबोधन में कहा कि सभी घरों में सूखे हुए आँवले काले नमक और कालीमिर्च के पाउडर के साथ मुखवास के रूप में रखे जाते थे।