तिल्दा नेवरा: कांग्रेस में करारी हार के बाद बयानबाजी का दौर शुरू है जहां पर हार के कई कारण बताए जा रहे हैं साथ ही कुछ नेताओं पर भी उंगलियां उठाई जा रही है। व ब्लॉक स्तर पर समीक्षा बैठक की मांग की जा रही है
कांग्रेस की करारी हार के बाद बयानबाजी का दौर खुलकर सामने आ गया है, कांग्रेस की हार के कई कारण गिनाए जा रहे हैं जहां पर कांग्रेस के छत्तीसगढ़ के कुछ चुनिंदा बड़े नेताओं पर भी उंगलियां उठाई जा रही है, कई कार्यकर्ता भी दबी जुबान से कह रहे हैं की खरोरा एवं तिल्दा के कुछ कांग्रेसी अपने आप को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समझने लग गए थे और उनकी शह पर कांग्रेस के कार्यकाल में कई कांग्रेसियों पर ही कार्रवाई करवाई गई जो की जनता के बीच अच्छा संदेश नहीं गया। साथ ही कई कांगेसी कार्यकर्ताओं ने बताया की मुख्यमंत्री के खास कहे जाने वाले ऐसे कांग्रेसियों के चलते ही कांग्रेस की करारी हार हुई है। जमीनी कांग्रेसी की माने तो उनका कहना है कि वह किसी भी कार्य के लिए सीएम हाउस जाते थे तो ऐसे नेता सीएम हाउस में सीएम से मिलने भी नही देते थे। जबकि इन सब चीजों की जानकारी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी नहीं होती थी और ऐसे लोग उन्हें कोई जानकारी भी नहीं देते थे।
साथ यहां पर बता दे की बलोदा बाजार विधानसभा क्षेत्र से पूर्व राज्यसभा सांसद छाया वर्मा ने टिकट की मांग की थी लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया, जबकि बताया जाता है कि राज्य व केंद्र के सर्वे सूची में बलोदा बाजार विधानसभा क्षेत्र में जीतने वाले प्रत्याशी में टॉप पर उनका नाम था, उनकी टिकट कांतकर उन्हे धारसिवा विस क्षेत्र से टिकट मिला जहां कांग्रेस की हार हुई इसी तरह बलोदा बाजार से भी कांग्रेस प्रत्याशी की हार हो गई, बलौदा बाजार के तिल्दा नेवरा में तो जिन्हे चुनाव संचालक बनाया गया था उनके द्वारा चुनाव के दौरान लगभग 5 दिन कांग्रेस कार्यालय में ही ताला लगवा दिया था जिसकी जानकारी कांग्रेस प्रत्याशी को भी नहीं दी गई थी। इस तरह कांग्रेस की गलत रणनीति से दो सीटों का नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ा है, इसी तरह से पूरे प्रदेश में भी टिकट वितरण को लेकर भी बड़ी नाराजगी जाहिर की गई है। कांग्रेस के ऐसे बड़े नेता काफी ओवर कांफिडेंस में भी थे।
साथ ही बता दें कांग्रेस के जमीनी नेताओं ने यह भी बताया की पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ऐसे सिपाह सलाहकार थे जो अपने हिसाब से कार्य कर रहे थे, अपने हिसाब से पदों को बांटना सहित अपनी मनमर्जी से कार्य कर रहे थे, जिसे जनता के बीच भी गलत संदेश गया है ।
साथ ही जमीनी कार्यकर्ताओं ने यह भी बताया कि कांग्रेस के 5 साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के लिए काफी जनहितैषी ऐसे कार्य किए हैं, उन्होंने छत्तीसगढ़ की बोली भाषा और परंपराओं को जीवित किया, साथ ही छत्तीसगढ़ में विलुप्त हो रही छत्तीसगढ़ के तीज त्यौहार को भी काफी महत्व दिया व पुनर्जीवित किया गया। किसानों सहित हर वर्ग के लिए जनहितैषी काम किया इसके बावजूद जनता का जनादेश उल्टा आया , जिसका सीधा-सीधा कारण ऐसे नेताओं को भी बताया जा रहा है।
जमीनी कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने कहा है कि कांग्रेस में समीक्षा बैठक होनी चाहिए क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आड़ लेकर ऐसे नेताओं जो अपनी रोटी सेंक रहे थे उन पर कार्यवाही होनी चाहिए, ।
साथ यहां पर बता दे की छेत्र के कई जमीनी कांग्रेसियों ने कहा की पूर्व मुख्यमंत्री भुपेश बघेल को बिना जानकारी दिए ऐसे कुछ नेताओ ने कांग्रेसी नेताओं व कार्यकर्ताओं पर ही कार्रवाई करवाते नजर आए, जिसका जीता जागता उदाहरण तिल्दा में भी देखने को मिला था, जहां तत्कालीन मंत्री शिव डहरिया की एक बात को तिल्दा एसडीएम ने नहीं मानी थी और एक कांग्रेसी नेता के दुकान को सिल लगवा दिया गया, साथ ही कांग्रेस के एक जिला पदाधिकारी के निर्माणधीन दुकानों को भी बुलडोजर चलवा कर सुबह-सुबह तुड़वाया गया,बताया जाता है की इसमें भी ऐसे नेताओं की महत्वपूर्ण भूमिका सामने आई थी, इन सब की जानकारी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को भी नहीं थी, और ऐसे ही नेता उन्हें बिना जानकारी दिए इस तरह के कांग्रेसी नेताओं, कार्यकर्ताओं के खिलाफ ही कार्रवाई करवा रहे थे जिसके चलते कांग्रेस की करारी हार हुई है। कांग्रेसियों ने ब्लॉक स्तर पर समीक्षा बैठक की मांग की है।