तिल्दा नेवरा: तिल्दा नेवरा पंचकल्याणक के छटवा दिवस-
सालभर बाद राजा श्रेयांस के यहां हुए आदिसागर मुनिराज के आहार
ज्ञान कल्याणक आदि तीर्थंकर को हुआ कैवल्यज्ञान समवशरण की हुई रचना
धर्म नगरी तिल्दा नेवरा में परम पूज्य संत शिरोमणी आचार्यश्री 108 विद्यासागरजी महामुनिराज जी के ससंघ सानिध्य प्रतिष्ठाचार्य वाणी भूषण बाल ब्रह्मचारी विनय सम्राट भैया जी के प्रतिष्ठाचार्यत्व में आयोजित श्री मज्जिनेन्द्र पंचकल्याणक जिनबिंब प्रतिष्ठा महामहोत्सव के छठवें दिन होने वाले आदि तीर्थंकर मुनि आदि सागर जी का ज्ञान कल्याणक मनाया गया।
वैराग्य होने के बाद जब मुनि आदिसागर जी महाराज वन में जाकर तपस्या करते है तो छह माह तक मौन रहकर वन में कठिन तपस्या करते है और छह माह बाद जब वह आहार चर्या को निकलते हैं तो उन्हें कहीं विधि नहीं मिलती उस काल मे कोई यह नहीं जानते थे कि मुनिराज को किस तरह विधि पूर्वक मन वचन क़ाय की शुद्धि के साथ पड़गाहन कर आहार दान किया जाता है
इस तरह छह माह ओर बीत जाते है तभी राजा श्रेयांस को पूर्व जन्म का आभास होता है और वह मुनि आदि सागर महाराज जी को विधि पूर्वक आहार चर्या के लिए पड़गाहन करते है l