खरोरा: दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आज

खरोरा: दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आज

खरोरा: दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आज

खरोरा: दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आज 


खरोरा;- राष्ट्रीय जैविक स्ट्रैस प्रबंधन संस्थान (भाकृअनुप-राजैस्ट्रें प्रस), के निदे एक और कुलपति डॉ. पी. के. घोश ने आज भाकृअनुप-राश्ट्रीय जैविक स्ट्रैस प्रबंधन संस्थान, रायपुर में प्रेस और मिडिया को संबोधित करने के लिए एमिटी यूनिवर्सिटी, रायपुर के कुलपति प्रो. पीयुश के. पाण्डेय के साथ हाथ मिलाया। इस सम्मेलन पूर्व पत्रसार ने 28-29 फरवरी को रायपुर में होने वाले पहले दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन की उल्टी गिनती शुरू कर दी, जो भाकृअनुप-राजैस्ट्रैप्रसं, रायपुर, एमिटी यूनिवर्सिटी छत्तीसगढ़, रायपुर और भाकृअनुप-राश्ट्रीय अजैविक स्ट्रैस प्रबंधन संस्थान, बारामती, महाराष्ट्र द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था।

लगभग 300 प्रतिश्ठित वैज्ञानिकों, उद्योग भागीदारों और छात्रों के आने की उम्मीद है, सम्मेलन में वक्ताओं की एक प्रभावशाली श्रंखला भाामिल है, जिसमें डॉ. एस. अय्यपन पूर्व सचिव डेयर और डीजी भाकृअनुप, और अन्य प्रख्यात वैज्ञानिक जैसे डॉ. ए. एन. मुखोपाध्यायए डॉ. एस. एन. पुरी, डॉ. सी. डी. मेंयी शामिल हैं, जो उध्घाटन सत्र की भाोभा बढाएंगे। उल्लेखनीय वक्ता जैसे, डॉ स्वपन दत्ता, डॉ. दीपक पटेल, डॉ. एन. के. कृष्ण कुमार, डॉ. पी दास और डॉ. सेमी रेड्डी भी कार्यक्रम के दौरान अपनी अंतदृष्टि साझा करने के लिए तैयार हैं। समापन सत्र में डॉ. पंजाब सिंह, पूर्व सचिव डेयर और महानिदेशक, आईसीएआर उपस्थित रहेंगें।

कृषि और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए जैविक और अजैविक स्ट्रैस को कम करने के लिए नवीन रणनीतियों" विषय के तहत, सम्मेलन छह प्रमुख विषयों पर चर्चा करेगा, अर्थात बदलती जलवायु के तहत प्रमुख और उभरते जैविक और अजैविक स्ट्रैस, जलवायु लचीला कृषि और पर्यावरणीय स्थिरिता में हाल के दृश्टिकोण से अजैविक स्ट्रैस प्रबंधन रणनीतियों में हाल के रूझान, जैविक स्ट्रैस प्रबंधन रणनीतियों में हाल के रूझान से लेकर जैविक और अजैविक स्ट्रैस के संयुक्त प्रभावों को समझने और कम करने के लिए के दृष्टिकोण क्षमता निर्माण ओर नीतिगत मुद्दे शामिल है। इसके अलावा, आकादमिक उद्योग प्रभाव पर एक विशेष सत्र उद्योग भागीदारों को अपने उत्पादों और दृश्टिकोणों को प्रर्दा ति करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा, उद्योग भागीदारों केवीके और गैर सरकारी संगठनों द्वारा अपने उत्पादों और प्रौद्योगिकियों को प्रदर्शित करने के लिए 16 स्टॉल लगाए जाएंगे। स्कूली बच्चों और भाकृअनुप-राजैस्ट्रैप्रसं, और एमिटी विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ विज्ञान प्रदर्शनी लगाई जाएगी साथ ही छात्रों द्वारा नवीनता दिखाने के लिए स्टॉल भी लगाए जाएंगे। डॉ. पी. के. घोष ने कहा कि एक पैनल चर्चा कृषि और पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान के लिए नवीन रणनीतियों पर केंद्रित होगी।

प्रो. पीयूष के. पांडे ने कहा कि कृषक समुदाय के सामने आने वाली समस्याओं का समाधान खोजने के लिए बहुआयामी रणनीतियां तैयार करनी होंगी। समस्या से बहुध्रुवीय बहुविषयक और बहुआयामी दृष्टिकोण से निपटना होगा। जलवायु परिवर्तन के मुद्दों के लिए गहन शोध की आवश्यकता है।

व्यापक भागीदारी के महत्व पर जोर देते हुए, आयोजकों ने वैज्ञानिकों और छात्रों तथा कृषि आधारित उद्योंगो, फार्म मशीनरी कंपनियों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), कृशि-रासायनिक कंपनियों, गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ), - कृषि ड्रोन निर्माताओं, बागवानी फर्मों से आग्रह किया है। और पशुधन फमें सम्मेलन में शामिल होंगी, जीवंत चर्चाओं और नेटवर्किग अवसरों में योगदान देंगी। अधिक जानकारी और मीडिया पूछताछ के लिए कृपया निदेशक. भाकृअनुप-राजैस्ट्रै प्रसं, रायपुर से संपर्क करें।

श्री रोहित वर्मा जी की खबर

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