डॉ. प्रतीक उमरे ने निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी में मनमानी पर कार्यवाही का आग्रह किया
दुर्ग नगर निगम के पूर्व एल्डरमैन भाजपा नेता डॉ. प्रतीक उमरे ने निजी स्कूलों के फीस में लगातार हो रही मनमानी वृद्धि पर चिंता व्यक्त किया है तथा मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी में मनमानी पर कार्यवाही का आग्रह किया है। पूर्व एल्डरमैन डॉ. प्रतीक उमरे ने उन्हें बताया कि दुर्ग में निजी स्कूलों द्वारा छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनियमन अधिनियम को दरकिनार करते हुए मनमानी फीस बढ़ोतरी किया जा रहा है। 8 फीसदी तक फीस बढ़ोतरी के प्रावधान के बाद भी उससे अधिक की फीस बढ़ोतरी किया जा रहा है। जिसके लिये जिला स्तरीय फीस विनियमन समिति से भी अनुमति नहीं लिया गया है। अधिनियम की धारा 10 की उपधारा 8 में स्पष्ट प्रावधान है कि विद्यालय फीस समिति द्वारा एक बार मे अधिकतम 8 प्रतिशत की वृद्धि की जा सकती है, इससे अधिक फीस की वृद्धि करने के लिए विद्यालय फीस समिति को अपने प्रस्ताव जिला फीस समिति के समक्ष प्रस्तुत करना होगा,जिला स्तर पर फीस विनियमन समिति द्वारा इस प्रस्ताव पर युक्ति युक्त निर्णय लिया जाएगा।अधिनियम की धारा 13 के तहत विद्यालय फीस समिति के विरुद्ध अपील सुनने का अधिकार जिला समिति को है,जिसके जिला कलेक्टर अध्यक्ष एवं जिला शिक्षा अधिकारी सचिव हैं।पूर्व में भी कई बार शिक्षा विभाग द्वारा जिला कलेक्टरों को निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि पर रोक लगाने के लिए निर्देशित किया गया था।लेकिन इसके बावजूद निजी स्कूलों में फीस स्ट्रक्चर देखकर पालक परेशान हैं,अधिकांश निजी स्कूलों द्वारा बिना अधिनियम के प्रावधानों का पालन किये एवं बिना जिला समिति से अनुमोदित कराए अपने फीस में असाधारण रूप से वृद्धि की गई है।जिसके कारण पालकों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है,पूर्व एल्डरमैन ने मुख्यमंत्री से दुर्ग जिले के निजी स्कूलों में अनियंत्रित तरीके से बढ़ी फीस के संबंध में जानकारी प्राप्त करके अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत आवश्यक कार्यवाही करने का आग्रह किया है।
मनमानी फीस से बढ़ा अभिभावकों पर बोझ
निजी विद्यालय प्रबंधनों द्वारा हर साल ट्यूशन फीस में वृद्धि से अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है।जिससे अभिभावक परेशान हैं। दुर्ग जिले के दर्जनों नामी निजी विद्यालयों पर न तो किसी तरह का सरकारी अंकुश है और न ही किसी तरह का दबाव,परिणाम है कि निजी विद्यालय के संचालक अपनी मर्जी से फीस तय करते हैं और अभिभावकों से वसूलते हैं। वहीं जिला प्रशासन भी इस पर मौन है।