मधुर साहित्य परिषद की संगोष्ठी संपन्न
मधुर साहित्य परिषद जिला बालोद की साहित्यिक संगोष्ठी गायत्री मंदिर परिसर डौन्डी लोहारा में संपन्न हुई। परिषद की साहित्यिक साझा पत्रिका 'अनहद' के विमोचन हेतु अतिथि, तिथि, स्थान चयन एवं अन्य रूपरेखा के विषय में विस्तृत चर्चा की गई। चर्चा के दौरान यह निर्णय लिया गया कि उक्त विमोचन कार्यक्रम मधुर साहित्य परिषद का स्थापना दिवस 28 जुलाई को रखा जायेगा।
इस तिथि को कुल छह पुस्तके विमोचित होगी जिसमें मधुर साहित्य परिषद की साझा पत्रिका 'अनहद' , परिषद के अध्यक्ष डॉ.अशोक आकाश की हिन्दी प्रलम्ब गीति काव्य 'मदिरालय ' , वरिष्ठ साहित्यकार देवनारायण नगरिया की बहुप्रतिक्षित हिन्दी काव्य संग्रह ' फिर बोल उठी ' संतराम सलामें जी की तीन पुस्तकें हिंदी काव्यधारा 'निर्झर' व 'यथार्थ' तथा छत्तीसगढ़ी काव्यधारा 'सुरता' शामिल होंगे। संगोष्ठी पश्चात काव्य गोष्ठी की शुरुआत हुई, संचालन वीरेन्द्र अजनबी ने किया। काव्य गोष्ठी की शुरुआत संतराम सलामे ने छत्तीसगढ़ के माटी की महिमा बताते हुए "मैं भरत भुंईया के छाती आंव, छत्तीसगढ़ के माटी आंव" सुनाकर काव्य पाठ का आगाज किया। परिषद के अध्यक्ष डॉ.अशोक आकाश ने अपनी आगामी पुस्तक 'मदिरालय ' से कुछ व्यंगात्मक कड़ियाँ सुनाकर सुंदर संदेश दिया। मधुर साहित्य परिषद् को डौं.लोहारा तहसीलअध्यक्ष कन्हैया लाल बारले ने 'बाँबी" शीर्षक से कविता सुनाकर महानगरों में बन रहे बहुमंजिला घरों को बाँबी की संज्ञा देते हुए भौतिक संपदाओं का व्यर्थ दोहन पर चिंता व्यक्त किया। कवियत्री हर्षा देवांगन ने श्री राम प्रभु पर कविता सुनायी। वीरेंद्र अजनबी ने अपनी चुटीले अंदाज में बढ़ती बेरोजगारी को निशाना साधते हुए व्यंग्यात्मक शैली में छत्तीसगढ़ी कविता प्रस्तुत किया । परिषद के महासचिव देव जोशी गुलाब ने "हमु चाहथन जी मीठ-मीठ बोलना " सुनाकर तत्कालिक शासन की योजनाओं पर व्यंग कसा। अंत में देवनारायण नगरिहा ने "पर हित सरिस धर्म नहीं भाई" का संदेश देते हुए "रद्दा म काँटा झन बो, तहु गड़बे दूसर गड़ जाही" सुनाकर सार्थक संदेश दिया । सदैव सतत् सहयोग की कामना से साहित्य द्वारा समाज सेवा में संलग्न साहित्यकारों की उपस्थिति के प्रति आभार जताते देव जोशी गुलाब द्वारा कार्यक्रम समापन की घोषणा की गई।