शिवनाथ नदी को प्रदूषण मुक्त करने बनेगी कार्ययोजना, भाजपा नेता डॉ.प्रतीक उमरे की पहल पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने लिया संज्ञान

शिवनाथ नदी को प्रदूषण मुक्त करने बनेगी कार्ययोजना, भाजपा नेता डॉ.प्रतीक उमरे की पहल पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने लिया संज्ञान

शिवनाथ नदी को प्रदूषण मुक्त करने बनेगी कार्ययोजना, भाजपा नेता डॉ.प्रतीक उमरे की पहल पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने लिया संज्ञान

शिवनाथ नदी को प्रदूषण मुक्त करने बनेगी कार्ययोजना, भाजपा नेता डॉ.प्रतीक उमरे की पहल पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय ने लिया संज्ञान


दुर्ग नगर निगम के भाजपा के पूर्व एल्डरमैन डॉ. प्रतीक उमरे ने केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सी आर पाटिल से शिवनाथ नदी को प्रदूषण मुक्त करने कार्ययोजना तैयार करने का आग्रह किया था।जिसपर संज्ञान लेते हुए जलशक्ति मंत्रालय द्वारा इस विषय पर आगामी कार्यवाही के लिए राष्ट्रीय नदी संरक्षण निदेशालय के निदेशक एन अशोक बाबू को अग्रेषित किया गया है।पूर्व एल्डरमैन डॉ. प्रतीक उमरे ने बताया कि दुर्ग स्थित शिवनाथ नदी को गंदे पानी के प्रदूषण से बचाने छह साल में तीन बड़े प्रोजेक्ट बनाए जा चुके हैं।288 करोड़ के इन तीन प्रोजेक्ट में से वाटर ट्रीटमेंट और सफाई के अहम प्रोजेक्ट सालों से फाइलों में पड़े हैं।वहीं 4 करोड़ के पुलगांव नाला के डायवर्सन का प्लान ठेकेदार के गायब हो जाने के कारण तीन साल से अधूरा है।शिवनाथ नदी दुर्ग-भिलाई की जीवनदायिनी है। इसके पानी से जिले 4 नगरीय निकाय सहित करीब 100 गांवों की प्यास बुझती है।दूसरी ओर प्रशासनिक अनदेखी के कारण यह लगातार प्रदूषण का मार झेल रही है।अकेले दुर्ग-भिलाई के 20 किलोमीटर के दायरे में 3 बड़े गंदे नालों का पानी नदी में मिल रहा है।नालों के पानी के साथ से घरों से निकलने वाले सीवरेज की गंदगी भी नदी में पहुंच रही है।इससे नदी का पानी लगातार प्रदूषित हो रहा है।गंदे नालों के कारण शिवनाथ पर प्रदूषण रोकने नगर निगम द्वारा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने दो प्लान तैयार किया जा चुका है।एक में नालों को आपस में जोड़कर शंकर नाला में 134 करोड़ 84 लाख से वाटर ट्रीटमेंट व दूसरे डि-सेंट्रलाइज प्लान में शंकर नाला में 102 करोड़,सिकोला में 18 करोड़ 53 लाख और कसारीडीह में 30 करोड़ 11 लाख से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की योजना बनाई गई है।यह प्लान फाइलों से आगे नहीं बढ़ सकी, क्यों कांग्रेस शासन में सिर्फ़ खानापूर्ति के लिए योजनाएं बनाई जाती थीं।पुलगांव नाला का गंदा पानी महमरा एनिकट पर दुर्ग व भिलाई नगर निगम के इंटकवेल के ठीक सामने मिलता है।इससे गंदा पानी सीधे इंटक वेल में पहुंचता है।नाले को इंटकवेल से पहले डायवर्ट कर एनिकट के डाउन स्ट्रीम में छोड़ने के लिए अंडर ग्राउंड स्ट्रक्चर तैयार करना है।इसके लिए अमृत मिशन के तहत 4 करोड़ खर्च करने का प्लान था।तीन साल पहले ठेकेदार काम छोड़कर गायब हो गया।इसके बाद से यह भी ठंडे बस्ते में हैं।इधर पुलगांव नाला डायवर्सन के अधूरे काम को पूरा कराने के बजाए अब उसी तर्ज पर नए सिरे से प्लान बनाकर पुलगांव नाला के पानी को शिवनाथ एनीकट के डाउन स्ट्रीम पर छोडऩे अधिकारियों द्वारा खानापूर्ति के लिए नई फाइल तैयार किया जा रहा है।शिवनाथ नदी के तट पर बसा दुर्ग और सटा हुआ भिलाई शहर इसी नदी की बदौलत फल फूल रहा है।इसी शिवनाथ का जल पीकर लोग जीवित हैं लेकिन अब बाजारीकरण व आधुनिकता की चौड़ाई में नदी के प्रति आस्था व जिम्मेदारी सिकुड़ती जा रही है।शहर का नाला व कचरा नदी की गोद मे समा रहा है।जिससे नदी की अस्मिता व जैविक तंत्र पर बुरा असर पड़ रहा है।लोग नदी में ही अपनी आस्था का अवशेष व घर का कचरा दोनों डाल रहे हैं।औद्योगिकीकरण ने तो नदी के पाटों को पाट कर सीमित करने का लक्ष्य बना लिया है।प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारि मौन स्वीकृति के साथ तमाशबीन बने हुए अपनी लाचारी का रोना रोते हुए जिम्मेदारी से मुक्ति पाने की फिराक में है।दुर्ग नगर निगम ने शिवनाथ नदी तट पर कचरा फेकने पर जुर्माना लगाए जाने की बात लिखा कर अपना फर्ज पूरा होना समझ लिया है।अधिकारियों में कोई नैतिकता बची ही नही है।बढ़ता प्रदूषण बहुत ही चिंता का विषय है।नदी को इससे बचाना होगा अन्यथा बगैर शिवनाथ जीवन बचाना मुश्किल हो जाएगा,जब जल व जल की स्रोत नदी ही नही प्रवाहमान रहेगी तो जीवन कहाँ से गतिमान रहेगा।


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