तिल्दा नेवरा। मेसर्स हीरा पावर एन्ड स्टील की जनसुनवाई कल
कितना भी विरोध मिल जाएगी स्वीकृति
भूजल पर भी प्रदूषण की काली छाया
ओधोगिक क्षेत्र उरला में स्थित मेसर्स हीरा पावर एन्ड स्टील के विस्तारीकरण की जनसुनवाई उरला इंडस्ट्रियल परिसर में कल 19 जुलाई को सुबह 11 बजे से होगी बढ़ते प्रदूषण के चलते जनसुनवाई में विस्तारीकरण का भले ही कितना ही विरोध क्यों न हो अंततः पर्यावरण संरक्षण मण्डल उन्हें विस्तारीकरण की अनुमति दे ही देगा।
राजधानी रायपुर से लगा उरला सिलतरा ओधोगिक क्षेत्र सर्वाधिक प्रदूषित क्षेत्रों में हैं यहां की फेक्ट्रियो से निकलने वाला काला धुंआ का असर न सिर्फ तालाबो घरों के किचन तक है अपितु भूजल पर भी अब प्रदूषण ने अपना असर दिखा दिया है बाबजूद इसके पर्यावरण संरक्षण मण्डल ने कभी किसी उधोग पर ऐंसी प्रभावी कार्यवाही नहीं कि है जिससे प्रदूषण पर अंकुश लग सके।
उरला से लगे कन्हरा का भूजल पीने लायक नहीं रहा
उरला ओधोगिक क्षेत्र में उधोगो का प्रदूषण कितना अधिक है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उरला अछोली से लगे कन्हरा गांव का भूजल केमिकल युक्त आने से पीने लायक नहीं रहा और ग्रामीणों को शुद्ध पेयजल के लिए अब दो किलो मीटर दूर पड़ोसी गांव कुम्हारी से पानी जाता है।
जिनका हुआ विरोध उन्हें भी मंजूरी
पर्यावरण संरक्षण मण्डल का जहां तक सवाल है पर्यावरणीय जनसुनवाई में भले ही ग्रामीण कितना भी विरोध क्यों न करें विस्तारीकरण की अनुमति मिलना लगभग तय ही माना जाता है जिससे यह तो स्पष्ट है कि जनसुनवाई किसी औपचारिकता से कम नहीं हाल ही में सिलतरा में दो उधोगो के विस्तारीकरण की जनसुनवाई हुई जिसमें एक उधोग के विस्तारीकरण का जमकर विरोध हुआ बाबजूद इसके ग्रामीणों की समस्याओं को हल करने प्रदूषण पर अंकुश लगाने किसान की समस्या का स्थायी हल करने ओर पुनः जनसुनवाई की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जिससे स्पष्ट है विरोध करो या समर्थन पर्यावरणीय अनुमति मिलना तो तय है