राष्ट्रीय रजक महासंघ का प्रतिनिधि मंडल पूर्व मंत्री एवं विधायक बिलासपुर माननीय अमर अग्रवाल से किया भेंट
छत्तीसगढ़ के रजक (धोबी) समाज को अनुसूचित जाति वर्ग की सूची में शामिल करने की मांग का ज्ञापन सौंपा।
राष्ट्रीय रजक महासंघ बिलासपुर का प्रतिनिधि मंडल पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं विधायक बिलासपुर से आज गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर उनके निज निवास सिविल लाइन बिलासपुर में भेंटकर छत्तीसगढ़ के रजक (धोबी )समाज को संविधान के अनुच्छेद 341 के अंतर्गत अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल करने की मांग करते हुए आगामी विधानसभा सत्र में विधानसभा से प्रस्ताव पारित करने की मांग की गई।
प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि भारत का संविधान लागू होने के उपरांत पूर्ववर्ती मध्य प्रदेश राज्य के भोपाल रायसेन एवं सीहोर में निवास रत रजक( धोबी) समाज को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने हेतु 1950 के परिपत्र एवं राष्ट्रपति द्वारा अधिसूचना जारी की गई थी जिसमें संपूर्ण राज्य लिखा गया है।
संपूर्ण मध्य प्रदेश सभी जिलों के रजक धोबी समाज के लोगों का रहन-सहन खान-पान शिक्षा दीक्षा आर्थिक स्थिति एक समान होने के बावजूद भी केवल तीन जिलों में अनुसूचित जाति का दर्जा मिलना समाज के अखंडता के लिए उचित नहीं है।
छत्तीसगढ़ राज्य का गठन भी पिछड़े पन को दूर करने के लिए किया गया। छत्तीसगढ़ के रजक धोबी समाज की आर्थिक, सामाजिक,शैक्षिक, राजनीतिक एवं व्यक्तिगत स्थिति एकदम दयनीय है।
छत्तीसगढ़ राज्य में रजक धोबी समाज की संख्या लगभग 25 लाख है। हिंदू समाज के प्रमुख संस्कार मृत्यु एवं जन्म संस्कार में प्रसूति के कपड़े की धुलाई, अस्पताल में बीफ के कपड़े, खून धब्बे,मवाद के कपड़े सर पर रखकर ले जाकर धोने का कार्य कर शुद्धिकरण करते हैं छत्तीसगढ़ के अधिकांश जिलों में अस्पृश्यता का व्यवहार भी रजक धोबी समाज के लोगों के साथ किया जाता है।
छत्तीसगढ़ निर्माण के पश्चात भी रजक धोबी जाति का रहन-सहन शिक्षा दीक्षा आजादी के 75वीं अमृत महोत्सव काल के बाद भी जस का तस बना हुआ है जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण यह है कि रजक धोबी समाज का कोई भी व्यक्ति सांसद, विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष, जनपद पंचायत अध्यक्ष, महापौर, निगम मंडल आयोग में कोईभी पद प्राप्त नहीं हो सका।इसी प्रकार शासकीय नौकरी में कोई भी प्रशासनिक अधिकारी प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी नहीं है। मेडिकल कॉलेज एवं अन्य उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश से वंचित है।
रजक ( धोबी) समाज की माताएं हिंदू समाज की पुत्री के विवाह के शुभ अवसर पर नव वधु को अपने माथे का सिंदूर दान करते हुए सुहाग दान देती हैं जो धोबी समाज की माता का त्याग है। भारत के 17 राज्यों एवं तीन केंद्र शासित प्रदेश में रजक धोबी समाज को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल किया गया है जिसमें प्रमुख रूप से असम, बिहार ,हिमाचल प्रदेश ,केरल, मणिपुर, मेघालय ,नागालैंड, उड़ीसा, राजस्थान ,सिक्किम, त्रिपुरा ,उत्तर प्रदेश ,झारखंड ,वेस्ट बेंगल ,मिजोरम ,अरुणाचल प्रदेश, एवं उत्तरांचल,। तीन केंद्र शासित प्रदेश अंडमान निकोबार लक्षद्वीप एवं दिल्ली के रजक धोबी समाज को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल किया गया है।
एक देश एक विधान एक संविधान के अनुसार एक देश के एक समाज रजक(धोबी )समाज के संपूर्ण देश मैं अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल करते हुए छत्तीसगढ़ को भी सम्मिलित करने की मांग प्रतिनिधिमंडल ने माननीय अमर अग्रवाल जी से की है।
प्रतिनिधि मंडल में विश्राम निर्मल कर प्रदेश अध्यक्ष, लक्ष्मीकांत निर्णेजक सदस्य रजक कल्याण बोर्ड छत्तीसगढ़ शासन,निलेश रजक प्रदेश उपाध्यक्ष युवा प्रकोष्ठ, अमृत निर्मलकर प्रदेश सदस्य, होरीलाल रजक संरक्षक, ओमप्रकाश रजक जिला संरक्षक, विनोद जवाहर जिला संरक्षक, विजय रजक नगर अध्यक्ष बिलासपुर, कुलदीप रजक युवा जिला अध्यक्ष बिलासपुर, विक्रम रजक महासचिव जिला युवा प्रकोष्ठ, डॉ विनोद निर्मलकर, डॉक्टर प्रदीप निर्णेजक संभागीय सचिव, जगदीश निर्मलकर नगर सचिव, डी आर कर्ष, दुष्यंत रजक, वीरेंद्र निर्मलकर, अनिल रजक, प्रेम लाल (आनू) , विवेक रजक साथ राष्ट्रीय रजक महासंघ महानगर बिलासपुर के पदाधिकारी एवं सदस्य उपस्थित थे।
उक्त जानकारी राष्ट्रीय रजक महासंघ जिला युवा अध्यक्ष श्री कुलदीप रजक एवं महानगर इकाई के महासचिव मोनू रजक ने दी।