बालोद की बेटियां उतरी न्याय की गुहार के लिए सड़कों पर

बालोद की बेटियां उतरी न्याय की गुहार के लिए सड़कों पर

बालोद की बेटियां उतरी न्याय की गुहार के लिए सड़कों पर

बालोद की बेटियां उतरी न्याय की गुहार के लिए सड़कों पर


देश में बढ़ रहे महिलाओं के साथ दुराचार व बलात्कार के मामलों को लेकर बालोद की छात्राओं व बेटियों में चिंता और डर घर कर गया है अपनी सुरक्षा के लिए बालोद के स्कूल व महाविद्यालय की बेटियां सड़कों में रैली के माध्यम से उतरकर सरकार से गुहार लगा रही हैं कि बलात्कारियों को सिर्फ जेल जैसी सजा नहीं बल्कि फांसी की सजा ही होनी चाहिए।




क्योंकि कठोर दंड प्रणाली नहीं होने के कारण ही बलात्कार के मामले आजकल बेहद बढ़ते जा रहे हैं जिस पर सभी बेटियां चिंतित के साथ-साथ डरी हुई भी है सभी ने जय स्तंभ चौक बालोद शहर के बीच चौराहे में बलात्कार के आरोपी का पुतला दहन करते हुए लोगों की आंखों में बंधी पट्टी को खोलने का प्रयास किया कि समाज में सिर्फ लड़कियां ही गलत नहीं होती बल्कि लोगों की सोच गलत होती है जिससे अपराध बढ़ते हैं जहां सामान्य लड़कियों के साथ बलात्कार तो हो ही रहे थे वहीं अब पुलिसकर्मी, डॉक्टर और तीन चार साल की स्कूल पढ़ने वाली बेटियां भी बच नहीं पा रही चाहे घर हो स्कूल हो या अस्पताल तक में ऐसे दरिंदों के सिंकजों से इस पर प्रशासन व न्याय व्यवस्था खामोशी से सिर्फ आरोपी को जेल की सजा सुनाते हुए मामले को खत्म करने में तुली रहती है।

एक मामला दबने के बाद फिर दूसरे दिन दूसरे बलात्कार का केस सामने सुनने व दिखाई पड़ने लगता है जो की बहुत दुःख का विषय है। कहते हैं जहां नारियों की पूजा की जाती है वहां देवता निवास करते हैं ऐसा देश है हमारा भारत देश लेकिन आज हम बेटियों को शर्म आ रही है कि हमारे भारत देश में बेटियों के साथ ऐसे अपराधिक घटनाएं लगातार चरम सीमा पार कर रहे हैं और लोग अभी तक सिर्फ हिंदु मुस्लिम और राजनीतिक मुद्दो के जाल में फंसा पड़ा है इस पर प्रशासन का ध्यान केंद्रित करते हुए सभी बेटियों ने नारेबाजी करते हुए पुतला दहन किया

 और सरकार से इंसाफ के रूप में बलात्कारियों को सीधे फांसी की सजा देने की मांग की और प्रधानमंत्री के नाम पत्र लिखा की हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा हम कहां स्वयं को सुरक्षित महसूस करेंगे इस विरोध प्रदर्शन में सभी संगठन के नेतृत्व कर्ताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सभी बेटियों और छात्राओं का सहयोग करते हुए अपनी सहभागिता प्रदान की और उनकी सुरक्षा का वचन दिया जिसमें प्रमुख रूप से मनीषा राणा, कल्पना बम्बोडे़, आशुतोष कौशिक, रानी गौर, नेहा साहू ,मुस्कान मनहर,मयंक साहू, जयकिशन साहू ,देवेंद्र साहू,डीके साहू, शुभांजलि साहू आदि उपस्थित रहे।

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