छतीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने दिया जवाब

छतीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने दिया जवाब

छतीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने दिया जवाब

छतीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने दिया जवाब


दुर्ग नगर निगम के भाजपा के पूर्व एल्डरमैन डॉ. प्रतीक उमरे द्वारा छत्तीसगढ़ी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र प्रेषित किया गया था जिसपर प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा तत्काल संज्ञान लेते हुए उक्त विषय में डॉ. प्रतीक उमरे को जवाब प्रेषित कर बताया कि वर्तमान में,संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएँ शामिल है विगत में राजस्थानी, भोजपुरी, छत्तीसगढ़ी और भोटी भाषाऔं सहित कई और भाषाओं को शामिल किए जाने की मांग की जाती रही है।चूंकि बोलियों और भाषाओं का विकास एक गतिशील प्रक्रिया है और यह सामाजिक सांस्कृतिक,आर्थिक और राजनीतिक विकासो से प्रभावित होती है,इसलिए भाषाओ के मामले में कोई भी मानदंड तय करना कठिन होता है,चाहे उन्हें बोलियों से प्रथक करना हो या फिर संविधान की आठवीं अनुसूची में उन्हे शामिल करना होIपहले भी पाहवा (1996) और सीताकान्त महापात्रा (2003) समितियों के माध्यम से इस तरह के मानदंड विकसित किये जाने की कोशिशें की गई थी,लेकिन वे बेनतीजा रहीं।भारत सरकार,आठवीं अनुसूची में अन्य भाषाओं को शामिल करने से संबंधी भावनाओं तथा मांगों को लेकर सचेत है और ऐसे अनुरोधों के बारे में,मस्तिष्क में इन भावनाओं तथा अन्य प्रांसगिक बातों को ध्यान में रखकर विचार करना होगा। डॉ. प्रतीक उमरे ने छत्तीसगढ़ी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु पुरजोर वकालत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र प्रेषित कर बताया था कि छत्तीसगढ़ी भाषा छत्तीसगढ़ राज्य के लोगों के सम्मान और पहचान का विषय है।छत्तीसगढ़ी भाषा का समृद्ध एवं गौरवशाली इतिहास रहा है। छत्तीसगढ़ी भाषा में कविताएं,नाटक,निबंध,शोध ग्रंथ आदि सब कुछ लिखे गये हैं।


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