तिल्दा नेवरा: यहां मुस्लिम बच्चियां भी बनती हैं राधा कृष्ण
निज स्वार्थ पूर्ति के लिए भारत वर्ष में नफरत के सौदागर कितना भी नफरती जहर क्यों न घोलें लेकिन वो नफरती जहर कभी भी जमीनी स्तर पर आपसी प्रेम भाईचारे और एक दूसरे के धर्मो के प्रति हर दिल में मौजूद सम्मान की जमीनी सच्चाई को नहीं बदल सकता जिसका जीता जागता उदाहरण है धरसीवा का चरोदा।
यहां निजी स्कूल की मुस्लिम बच्चियां भी प्रतिवर्ष राधा व कृष्ण बनते हैं। कहते हैं बच्चे भगवान का स्वरुप होते है और वास्तव में यह सच भी है, हर वर्ग के बच्चे श्रीकृष्ण व राधा का रूप धारण कर शायद यही संदेश दे रहे हैं की संसार में प्रेम से बड़ी कोई शक्ति नहीं और नफरत से बड़ी कोई तबाही नहीं। चरोदा के मिर्जा मेराज की बच्ची एलिमा फातिमा भी उन्ही मुस्लिम बच्चियों में से एक हैं जो श्रीराधा कृष्ण की वेशभूषा धारण करती हैं।
मिर्जा मेराज कहते हैं पिछले साल उनकी बच्ची जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण की वेशभूषा धारण कर स्कूल गई थी और इस साल राधा की वेशभूषा धारण की थी. मिर्जा मेराज बेग कहते हैं की बच्ची की मां स्वयं बच्ची को तैयार करती हैं, बच्ची जब राधा कृष्ण की वेशभूषा धारण करती है तो अति सुंदर लगती है।
कहने को तो ये मात्र जन्माष्टमी पर्व पर श्री राधा कृष्ण की वेशभूषा धारण करने का एक कार्यक्रम भर है लेकिन प्रतिवर्ष एलिमा फातिमा जैसी मुस्लिम बच्चियां श्रीराधा कृष्ण की वेशभूषा धारण कर जो संदेश भारत वर्ष और सारे संसार को दे रही हैं वह यही है की दुनिया प्रेम व सभी धर्मो के सम्मान से चलेगी नफरत से नही।