स्वाइन फ्लू को लेकर अलर्ट मोड पर रहे जिला प्रशासन - डॉ. प्रतीक उमरे

स्वाइन फ्लू को लेकर अलर्ट मोड पर रहे जिला प्रशासन - डॉ. प्रतीक उमरे

स्वाइन फ्लू को लेकर अलर्ट मोड पर रहे जिला प्रशासन - डॉ. प्रतीक उमरे

स्वाइन फ्लू को लेकर अलर्ट मोड पर रहे जिला प्रशासन - डॉ. प्रतीक उमरे


दुर्ग नगर निगम के भाजपा के पूर्व एल्डरमैन डॉ. प्रतीक उमरे ने कलेक्टर ऋचा प्रकाश चौधरी से स्वाइन फ्लू को लेकर गंभीरतापूर्वक व्यापक इंतजाम करने की मांग किया है।डॉ. प्रतीक उमरे ने कहा की दुर्ग जिले मे स्वाइन फ्लू के दस्तक देने के बाद भी जिला प्रशासन गंभीर नहीं है।सरकार द्वारा स्वाइन फ्लू को लेकर जारी हाई अलर्ट जिले में बेअसर नजर आ रहा है।इसके रोकथाम, बचाव व उपचार के लिए जरूरी इंतजाम अभी तक मुकम्मल नहीं हो सके हैं। जिला अस्पताल में न तो आइसोलेशन वार्ड बना है न ही कंट्रोल रूम की स्थापना हुई।रैपिड रिस्पांस टीम भी निष्क्रिय है।मुख्य सचिव ने वायरस जनित बीमारी स्वाइन फ्लू के नियंत्रण के लिए बनाई गई कार्ययोजना को प्रभावी ढंग से लागू करने का निर्देश दिया है।इस अलर्ट के बावजूद स्वास्थ्य विभाग बेहद सुस्त है।जिला अस्पताल प्रशासन अभी तक यह नहीं तय कर सका है कि किस वार्ड को स्वाइन फ्लू के संभावित मरीजों के लिए आरक्षित किया जाय।शासन का साफ निर्देश है कि स्वाइनफ्लू मरीजों के लिए जिला अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड बनाया जाए।जिला अस्पताल के चिकित्सा स्टाफ व पैरामेडिकल स्टाफ का टीकाकरण भी नहीं किया गया है।जबकि संदिग्ध मरीजों की देखभाल व उपचार के दौरान चिकित्साकर्मी वायरस की चपेट में न आएं इसके लिए उन्हें इन्फ्लुएंजा वैक्सीन लगाने के निर्देश हैं।डॉ.प्रतीक उमरे ने कहा कि स्वाइन फ्लू मुख्य रूप से सुअरों से फैलता है।लेकिन प्रशासन इस ओर भी कोई ध्यान नहीं दे रहा है।शहर से लेकर गांवों तक आवारा सुअर लगातार नजर आ रहे हैं।घनी बस्तियों में भी इनके झुंड हैं और यह आम लोगों के संपर्क में रहते हैं।ऐसे में लोगों पर स्वाइन फ्लू का खतरा मंडरा रहा है।सुअरों के सार्वजनिक स्थलों व अन्य खुले स्थानों में घूमने पर अंकुश लगाने को लेकर भी जिला प्रशासन द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है।डॉ. प्रतीक उमरे ने स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए लोगों से सावधानी बरतने की अपील किया है।

स्वाइन फ्लू के लक्षण

सामान्य लक्षणों में बुखार,खांसी,गले में खराश,ठंड लगना,कमजोरी और शरीर में दर्द शामिल हैं।अग्रिम मामलों में बच्चों को सांस की तकलीफ,निर्जलीकरण और चिड़चिड़ापन का अनुभव हो सकता है। बच्चों,गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को गंभीर संक्रमण का खतरा होता है।इस तरह के लक्षण दिखने पर जांच कराना जरूरी होता है।


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