तिल्दा नेवरा। सिलयारी के एक पेपर मिल के कबाड़मे करोड़ों का किताब बरामद

तिल्दा नेवरा। सिलयारी के एक पेपर मिल के कबाड़मे करोड़ों का किताब बरामद

तिल्दा नेवरा। सिलयारी के एक पेपर मिल के कबाड़मे करोड़ों का किताब बरामद

तिल्दा नेवरा। सिलयारी के एक पेपर मिल के कबाड़मे करोड़ों का किताब बरामद


रायपुर पश्चिम के पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने आज एक बड़ा सनसनी क्षेत्र खुलासा करते हुए सरकार की लापरवाही को उजागर किया।
सिलयारी में रियल बोर्ड पेपर मिल के गोदाम में आज उन्हें भारी मात्रा में स्कूली किताबों का जखीरा मिला,,, इस मामले में पतासाजी करने पर पता चला कि यह किताबें रद्दी में बेची जा रही हैं , विकास उपाध्याय ने इस पूरे मामले में एक बड़े भ्रष्टाचार की आशंका व्यक्त की है उन्होंने इस पूरे मामले को उजागर करते हुए कहा है कि , एक ओर पूरे प्रदेश में सरकारी स्कूलों के बच्चों के किताबों की कमी का सामना करना पड़ा, दूसरी ओर बीना बाटे किताबों को रद्दी में किलो के भाव बेचा जाने का यह मामला बताता है कि किताबें छापने और बांटने का भ्रष्टाचार का खेल कैसा चल रहा है , विकास उपाध्याय ने सिलियरी स्थित रियल पेपर मिल फैक्ट्री कैसे गोदाम के अंदर जाकर किताबों के बदलो की जांच की तो पाया की किताबें इसी सत्र की है और अभी भी पूरी तरीके से अच्छी कंडीशन में है,, सत्र शुरू हुई अभी कुछ ही महीना हुआ है और किताबें छात्रों को मिल नहीं पाई है किताबें बांटने के पहले उसे कबाड़ में भेज दिया गया है इन किताबो उपयोग में लाया जा सकता है लेकिन इन्हें रद्दी बताकर बेचा जा चूका है, 

विकास उपाध्याय ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ में *माता सरस्वती* का ऐसा अपमान पहले कभी नहीं देखा गया! रायपुर के सिलियारी स्थित रियल पेपर मिल में लाखों किताबें कबाड़ में फेंकी जा रही हैं। ये वही किताबें हैं, जो सरकार द्वारा छात्रों को मुफ्त वितरण के लिए खरीदी गई थीं। सरकार ने किताबें खरीदीं, लेकिन उन्हें छात्रों तक पहुंचाने के बजाय कबाड़ में बेच दिया ,,
विकास उपाध्याय स्कूल मामले में बड़े भ्रष्टाचार होने की आशंका व्यक्त करते हुए मामले की जांच की मांग की है उन्होने इस प्रकरण में गोदाम मालिक से सच्चाई जानने की कोशिश की लेकिन वह उपलब्ध नहीं हो सके घंटे तक गोदाम में विकास उपाध्याय अपने समर्थकों के साथ धरने पर बैठे रहे लेकिन कोई जिम्मेदार इस मामले की सुध लेने नहीं आया ,,
मामले को ऊजागर करते हुए विकास उपध्याय ने कहा कि 
यह शिक्षा और बच्चों के भविष्य के साथ भारी भ्रष्टाचार  का ज्वलंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि 
यह किताबें सर्व शिक्षा अभियान और छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम,  द्वारा प्रकाशित की गई थीं, जो छात्रों को निशुल्क दी जानी थीं। लेकिन इनके स्थान पर इन्हें कबाड़ में फेंक दिया गया, जिससे लाखों-करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान प्रदेश को हुआ है , गांवों के बच्चे आज भी किताबों के लिए तरस रहे हैं, जबकि सरकार की नाक के नीचे ये किताबें बर्बाद हो रही हैं।

पूर्व विधायक विकास उपाध्याय इस मुद्दे को लेकर बड़े आंदोलन का ऐलान किया है उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से, जो खुद शिक्षा विभाग संभाल रहे हैं, उनसे मेरा सीधा सवाल है: कि "कबाड़ में फेंकी जा रही इन किताबों का जिम्मेदार कौन है? शिक्षा विभाग और सरकार कब तक इस शर्मनाक स्थिति पर चुप रहेंगे?"

विकास उपाध्याय ने कहा कि वह जल्द ही शिक्षा सचिव से मुलाकात करेंगे और इस घोटाले की विस्तृत जांच की मांग करेंगे। उन्होंने मीडिया से अपील की है कि वे इस भ्रष्टाचार को उजागर करें और जनता के सामने इस घोटाले की सच्चाई लाएं। यह सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि लाखों बच्चों के भविष्य का सवाल है।
विकास उपाध्याय ने इस पूरे मामले को पार्टी स्तर से भी सदन में उठाए जाने की बात कहते हुए बच्चों के भविष्य को कबाड़ में डालने वाली सरकार से श्वेत पत्र जारी कर स्थिति स्पष्ट करने की भी मांग की है।


श्री दिलीप वर्मा जी की खबर 

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