बेमेतरा:- नगर देवकर के युवा तपस्वी रत्न रौनक बोरा ने उपवास व्रत की अर्ध शतक 50 वां दिन पूर्ण किया
भावना बदलने से भव बदल जायेंगे
धर्म में पाप का मिलावट न करें
पयुॆषण पर्व पुरे उत्साह और उमंग के साथ गतिमान
तप, तपस्या, धर्म अराधना जोरों पर
मेघू राणा बेमेतरा/देवकर। नगर देवकर जैन भवन गांधी चौक में संचालित 2024 का चातुर्मास जो की नवकार मंत्र साधक श्री रतन मुनी जी म सा दरबार के चार सन्तों की सानिध्य में हो रहा है जहां प्रतिदिन सुबह 06 बजे से रात्रि 9.30 तक धार्मिक कार्यक्रम सुचारू रूप से संचालित हो रहा है और इन कार्यक्रमों में नगर जैन समाज के महिलाओं, बालिका मण्डल ,बालक मण्डल बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं प्रार्थना, प्रवचन,मांगलिक, नवकार जाप, प्रतिक्रमण, रात्रि कालीन धार्मिक प्रतियोगिता आयोजित किया जा रहा है जिसमें सभी विजेताओं को पुरस्कृत कर सम्मानित किया जा रहा है एवं संतावन्ना पुरस्कार भी प्रदान किया जा रहा है साथ ही साथ विभिन्न प्रकार के परिक्षा पेपर के माध्यम से ज्ञान वर्धक प्रतियोगिता हो रही है। इसके अलावा नगर में तप तपस्या धर्म अराधना उपवास व्रत आदि भी जोरदार ढंग से चल रहा है जिसमें नगर देवकर एवं बोरा परिवार का आन बान और शान युवा रत्न तपस्वी रौनक बोरा जो की चातुर्मास आरंभ होते ही उपवास व्रत धारण किया और उग्र तपस्या करते हुए आज शुक्रवार 06 सितंबर को अपना अर्ध शतक याने पुरे पचास दिन पूर्ण किया है यह उपवास व्रत सिर्फ गर्म पानी पिकर ही किया जा रहा आज के युवा जनरेशन जो की वर्तमान के चकाचौंध में भोग विलास, आदि में मस्त रहते हैं वहीं दूसरी ओर बोरा परिवार का यह लाड़ला धर्म अराधना की मार्ग पर चलते हुए कठिन कठोर उग्र तपस्या में तल्लीन है , रौनक बोरा की उपवास व्रत आगे गतिमान है देखना है कहां जाकर रुकती है पुरे छत्तीसगढ़ एवं अन्य राज्यों में भी युवाओं में सबसे ज्यादा उपवास व्रत धारण करने वाला पहला युवा रत्न है जो बधाई का पात्र है।ज्ञात हो कि 2022 की चातुर्मास जो नगर में पुरे धूमधाम के साथ सम्पन्न हुआ था उसमें भी नगर देवकर के चार युवाओं ने मांस खम्मण 30, 30, दिनों की उपवास व्रत कर पुरे भारत वर्ष में देवकर पहला स्थान हासिल किया था जिसमें आदि बोरा ने उस समय 52 दिनों की धोर उग्र तपस्या किया था। इस वर्ष 2024 चातुर्मास में प्रणय बोरा ने तीस दिनों की उपवास व्रत पूर्ण किया और रौनक बोरा आगे बढ़ते हुए 50 वां दिन पूर्ण किया है जो एक ऐतिहासिक पल है। जैन भवन में रोजाना चल रहे प्रवचन में श्री सतीश मुनि जी म सा एवं आदित्य मुनी जी म सा ने फ़रमाया कि शुद्ध भावों से धर्म अराधना करें धर्म में पाप का मिलावट न करें हमारा लक्ष्य शुद्ध होना जरूरी है तभी सभी कार्य पूर्ण होंगे हमारी दृष्टि ऐसी पदार्थों पर हो जिससे हमारे मन में बैर पाप कषाय लालच आदि का लालसा न आए शुद्ध भाव बना रहे मुनी श्री जी कहा कि जैसा हम आहार करते हैं वैसा ही हमारा मन बनता है।
लाखों आये और चले गये, कोई रह न पाया,
खाक बन जायेगी एक दिन तेरी ये काया
रौनक बोरा को स्वर्ण तप अराधक की उपाधि मुनी श्री जी ने दिया स्वयं का पुरुषार्थ करने वाला व्यक्ति आत्मा से परमात्मा बन सकता है जैसा कर्म करोगे वैसा ही फल मिलेगा।