अगासदिया: भोपाल के प्रतिष्ठित दुष्यंत कुमार संग्रहालय का लोक भाषा अलंकरण 24 भिलाई के डॉ.परदेशीराम वर्मा र्को
हिन्दी के दिग्गज साहित्यकार और अपनी हिन्दी गजलों के लिए देश विदेश में अग्रणी गजलकार के रूप में स्थापित दुष्यंत कुमार के नाम पर स्थापित संग्रहालय भोपाल ने इस वर्ष का अलंकरण घोषित किया है। दुष्यंत कुमार आंचलिक भाषा अलंकरण 24 इस वर्ष छत्तीसगढ़ के साहित्यकार डॉ. परदेशीराम वर्मा को प्रदान किया जाएगा।
दुष्यंत कुमार संग्रहालय के अध्यक्ष आर.आर. वामनकर ने अलंकरण की सूचना देते हुए लिखा है, दुष्यंत कुमार पांडुलिपि संग्रहालय की चयन समिति ने डॉ. परदेशीराम वर्मा को इस वर्ष सम्मान देने का निर्णय लिया है। बधाई देते हुए उन्होंने हिन्दी और छत्तीसगढ़ी में महत्वपूर्ण लेखन के लिए सम्मानित किए जाने का उल्लेख किया है। उल्लेखनीय है कि डॉ. परदेशीराम वर्मा लिखित छत्तीसगढ़ी उपन्यास आवा विगत बीस वर्षों से पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के एम.ए. पूर्व के पाठ्यक्रम में सम्मिलित है। साथ ही बी.ए. में कहानी थप्पड़ तथा दसवीं में कहानी मरिया भी पाठ्यक्रम में शामिल है। उन्हें राष्ट्रपति डॉ. प्रणव मुखर्जी के हाथों पंडित सुन्दरलाल शर्मा पुरस्कार सहिंत साहित्य के लिए उल्लेखनीय पुरस्कार प्राप्त हैं। उन्हें 2003 में लेखन के लिए पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय ने डी. लिट् की मानद उपाधि से अलंकृत किया। भोपाल में दुष्यंत कुमार आंचलिक भाषा अलंकरण की घोषणा पर भिलाई और छत्तीसगढ़ के मित्र शुभचिंतकों कमलेश चंद्राकर, कौशल वर्मा, गिरीश पंकज, राजेन्द्र साहू, महेश वर्मा, नासिर अहमद सिकंदर, अशोक आकाश, चोवाराम बादल, बद्री प्रसाद पारकर, डी.पी. देशमुख, डॉ. शिरोमणि माथुर, शायर अब्दुल कलाम, डॉ. एस.के. सुखदेव, डॉ. सुधीर शर्मा, डॉ. सोनाली चक्रवर्ती, तथा श्रीमती रजनी नेल्सन ने बधाई देते हुए हर समय सक्रिय रहकर लेखन करने की क्षमता को उल्लेखनीय बताया है। डॉ. परदेशीराम वर्मा अगासदिया तथा आगमन त्रैमासिक का संपादन करते हैं। वे अगासदिया और माता कौशल्या गौरव अभियान समिति से जुड़ी गतिविधियों का संयोजन भी करते हैं।
शीघ्र ही उनकी जीवनी सुरंग के उस पार शीर्षक से प्रकाशित हो रही है। वैभव प्रकाशन से उनकी रचनावली 7 खंडों में आ रही है जिसका प्रथम खंड सितंबर में प्रकाश्य है।