महालक्ष्मी गौरा गौरी पूजन तीन दिनों का आयोजन
महालक्ष्मी गौरा गौरी पूजन तीन दिनों का आयोजन भिलाई स्टील सिटी विभिन्न सेक्टर में स्थापित की गई महालक्ष्मी जी की प्रतिमा 10 तारीख से 12 सितंबर तक घर-घर में होता है आयोजन महालक्ष्मी भक्त प्रशांत कुमार क्षीरसागर प्रतिवर्ष महालक्ष्मी जी के आशीर्वाद से धन और समृद्धि की देवी है महालक्ष्मी जी को प्रसन्न करने उनका आशीर्वाद लेने के लिए महाराष्ट्रीयन परिवार प्रतिवर्ष पूजा आशीर्वाद जी के लिए मंदिर दरबार में जाते हैं महाराष्ट्रीयन परिवार सबसे बड़ा त्यौहार के रूप में मनाया जाता है इससे घर में सुख शांति वैभव धन साथ में समृद्धि बनी रहती है परिवार में एकता का परिवार महालक्ष्मी जी का पर्व मनाया जाता हैक्यों करते हैं व्रत श्रीमती ऊषा क्षीरसागर पूजन विधि श्री महालक्ष्मी व्रत के बारे में विचार साझा करते हुए बताया कि यह व्रत धन और समृद्धि की देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इससे घर में सुख, शांति के साथ ही समृद्धि बनी रहती है।
महाराष्ट्रीयन परिवारों में भाद्रपद माह में महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए ज्येष्ठा गौरी की पूजा करती हैं।तीन दिनों तक मनाई जाने वाली इस ज्येष्ठा गौरी पूजा में भाद्रपद शुक्ल पक्ष में अनुराधा नक्षत्र में आगमन होता है, ज्येष्ठा नक्षत्र में पूजा और भोग होता है एवं मूल नक्षत्र में उनका विसर्जन होता। इस बार अनुराधा नक्षत्र 10 सितंबर को रहेगा। इस दिन ज्येष्ठा गौरी का आगमन, आवाहन और स्थापना की जाती है।क्यों करते हैं व्रत?
यह व्रत धन और समृद्धि की देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इससे घर में सुख, शांति के साथ ही समृद्धि बनी रहती है। महाराष्ट्रीयन परिवारों में भाद्रपद माह में महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए ज्येष्ठा गौरी की पूजा करती हैं।इस अवसर पर अष्टमी के दिन महालक्ष्मीजी को छप्पन भोग लगाया जाता है। सोलह सब्जियों को एक साथ मिलाकर भोग लगाया जाता है। साथ ही ज्वार के आटे की अम्बिल और पूरन पोली का महाप्रसाद प्रमुख होता है।
56 भोगों में पुरणपोळी, सेवइयां, चावल की खीर, पातळभाजी, तिल्ली, खोपरा, खसखस तथा मूंगफली के दाने की चटनी, लड्डू, करंजी, मोदक, कुल्डई, पापड़, अरबी के पत्ते के भजिए आदि सामग्री का केले के पत्ते पर भोग लगाया जाएगा। परंपरानुसार ब्राह्मण, बटुकों व सुहागिनों को भोजन व प्रसाद का वितरण किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि माता लक्ष्मी की आराधना से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
इन तीनों दिनों में महालक्ष्मी की प्रतिमा ज्येष्ठा व कनिष्का का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। मंगलवार, 6 सितंबर को महालक्ष्मी का विधिवत विसर्जन किया जाएगा। इसके साथ ही अधिकांश परिवारों द्वारा गणेशजी का विसर्जन भी किया जाता है। महालक्ष्मीजी की बिदाई में दाल-चावल, सेवईं की खीर का भोग लगाया जाएगा।