राष्ट्रीय सेवा योजना का आदर्श वाक्य है "मैं नहीं, बल्कि आप"

राष्ट्रीय सेवा योजना का आदर्श वाक्य है "मैं नहीं, बल्कि आप"

राष्ट्रीय सेवा योजना का आदर्श वाक्य है "मैं नहीं, बल्कि आप"

राष्ट्रीय सेवा योजना का आदर्श वाक्य है "मैं नहीं, बल्कि आप"


शासकीय घनश्याम सिंह स्नाकोत्तर महाविद्यालय बालोद लॉ डिपार्टमेंट के राष्ट्रीय सेवा योजना स्वयं सेवक धनेश साहू ने राष्ट्रीय सेवा योजना स्थापना दिवस पर सभी को बधाई प्रेषित करते बताते हैं कि, राष्ट्रीय सेवा योजना सिर्फ एक सेवा योजना ही नहीं बल्कि राष्ट्र जागरूकता करने के साथ यह लोकतांत्रिक जीवन का सार व्यक्त करता है और निस्वार्थ सेवा की आवश्यकता को बनाए रखता है तथा दूसरे व्यक्ति के दृष्टिकोण की सराहना करता है और साथी मनुष्यों के प्रति भी विचारशीलता दिखाता है। यह इस तथ्य को रेखांकित करता है कि किसी व्यक्ति का कल्याण अंततः पूरे समाज के कल्याण पर निर्भर करता है। धनेश साहू ने बताया कि एनएसएस अपने दैनिक कार्यक्रमों में 'सामुदायिक सेवा के माध्यम से छात्रों के व्यक्तित्व के विकास' के अपने आदर्श वाक्य को प्रदर्शित करता है। यह रचनात्मक सामाजिक गतिविधियों, राष्ट्रीय एकीकरण, सामुदायिक जीवन, निरक्षरता उन्मूलन, स्वच्छता की स्थिति में सुधार के संबंध में छात्रों में सामाजिक चेतना जगाता है। प्राथमिक चिकित्सा, श्रम की गरिमा की सराहना, परिवार नियोजन का प्रचार, छोटी बचत, वृक्षारोपण और वनीकरण, अकाल, बाढ़, सूखा और भूकंप जैसी आपदाओं का मुकाबला करना और अंत में, पूरे समुदाय के विकास के लिए उपलब्ध संसाधनों को जुटाना। राष्‍ट्रीय सेवा योजना (NSS) देश के युवाओं में व्‍यक्‍तित्‍व विकास करने के लिए युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जाता है। यह हर साल 24 सितंबर को मनाया जाता है। राष्ट्रीय सेवा योजना की स्थापना 24 सितंबर, सन् 1969 ई. को की गई थी।

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