प्रदेश में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करना अत्यंत आवश्यक - डॉ. प्रतीक उमरे

प्रदेश में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करना अत्यंत आवश्यक - डॉ. प्रतीक उमरे

प्रदेश में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करना अत्यंत आवश्यक - डॉ. प्रतीक उमरे

प्रदेश में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करना अत्यंत आवश्यक - डॉ. प्रतीक उमरे


दुर्ग नगर निगम के भाजपा के पूर्व एल्डरमैन डॉ. प्रतीक उमरे ने मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से प्रदेश में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने का आग्रह किया है।पूर्व एल्डरमैन डॉ. प्रतीक उमरे ने बताया कि लोगों को न्याय दिलाने में अधिवक्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका होती है,लेकिन बदली हुई परिस्थिति में वकीलों की सुरक्षा भी काफी चुनौतीपूर्ण हो गई है।उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में अधिवक्ताओं पर हिंसात्मक मामले बढ़े हैं।ऐसे में एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करना अत्यंत आवश्यक है।प्रदेश में लगभग 35 हजार से अधिक अधिवक्ता विधि व्यवसाय में संलग्न हैं। समाज का हमारा यह वर्ग कानून की रक्षार्थ अपना पूरा जीवन समर्पित करता है।ऐसे में उनकी रक्षा का दायित्व भी सरकार की होनी चाहिए ताकि प्रत्येक अधिवक्ता अपने दायित्व का निर्वहन निर्भय होकर स्वतंत्रता पूर्वक कर सकें।वकील न्याय के प्रशासन, मानवाधिकारों की रक्षा,लोकतंत्र और कानून के शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।वकीलों पर व्यक्तिगत और संस्थागत रूप से हमले लगातार हो रहे हैं,जिससे स्वतंत्र रूप से और सुरक्षित रूप से कानून का अभ्यास करने की उनकी क्षमता खतरे में पड़ गई है।मौलिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के प्रति सम्मान बनाए रखने के लिए कानूनी पेशे की स्वतंत्रता आवश्यक है।यदि अधिवक्ता स्वतंत्र,निष्पक्ष,वस्तुनिष्ठ और अखंडता,स्वायत्तता और तटस्थता के साथ कार्य करने में असमर्थ होता है तो न तो विधि शासन कायम रह सकता और न ही न्याय ठीक से प्रशासित हो सकता है।कानूनी पेशे की स्वतंत्रता वकीलों को मुवक्किल और समाज के सर्वोत्तम हित में बिना किसी मनमाना मुकदमा चलाए जाने के डर से और किसी भी अनुचित प्रभाव से मुक्त होने की अनुमति देती है।इसलिए यह आवश्यक है कि वकील राज्य,समाज,या किसी भी अन्य सरकारी या गैर-सरकारी हस्तक्षेप के बिना अपने कार्यों को पूरा करने में सक्षम हों।सुरक्षा अधिनियम में अधिवक्ताओं को उनके कर्तव्य के निर्वहन करने से रोकने या उसमें बाधा पहुंचाने के लिए उन पर हमला करने,चोट पहुंचाने,धमकी देने इत्यादि को प्रतिबंधित करते हुए दंडित किए जाने और किसी भी सूचना को जबरन उजागर करने का दबाव बनाने,पुलिस अथवा किसी अन्य पदाधिकारी से दबाव डलवाना वकीलों को किसी केस में पैरवी करने से रोकना,वकील की संपत्ति को नुकसान पहुंचाना,किसी वकील के खिलाफ अपमानजनक शब्द का इस्तेमाल करना आदि इस कानून की श्रेणी में रखा जाए।इसके अतिरिक्त अधिवक्ता को जरूरत पड़ने पर पुलिस सुरक्षा का भी प्रावधान करने का आग्रह डॉ. प्रतीक उमरे ने मुख्यमंत्री विष्णू देव साय से किया है।


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