भिलाई स्टील सिटी प्रतिवर्ष की भांति दशहरा पर्व हर्षोल्लाह के साथ कई स्थानों पर मनाया गया

भिलाई स्टील सिटी प्रतिवर्ष की भांति दशहरा पर्व हर्षोल्लाह के साथ कई स्थानों पर मनाया गया

भिलाई स्टील सिटी प्रतिवर्ष की भांति दशहरा पर्व हर्षोल्लाह के साथ कई स्थानों पर मनाया गया

भिलाई स्टील सिटी प्रतिवर्ष की भांति दशहरा पर्व हर्षोल्लाह के साथ कई स्थानों पर मनाया गया


भिलाई स्टील सिटी प्रतिवर्ष की भांति दशहरा पर्व हर्षोल्लाह के साथ कई स्थानों पर मनाया गया सेक्टर 2 हनुमान मंदिर दशहरा मैदान सेक्टर 2 69 व दशहरा पर्व भिलाई के शिक्षाविद श्री आईपी मिश्रा जीने दशहरा पर्व शानदार आयोजन किया गया था श्री आईपी मिश्रा जी ने भगवान प्रभु श्री राम और लक्ष्मण के रूप में पूजा अर्चना फूल माला पहनकर प्रभु श्री राम जी की आरती की एवं तिलक लगाकर सम्मान स्वागत किया इस अवसर पर कैंप एक नंबर से शोभा यात्रा सेक्टर 2 दशहरा मैदान पहुंची प्रभु श्री रामचंद्र जी ने रथ से पहुंचने पर भव्य आतिशबाजी फूल माला ढोल बजाकर स्वागत फूलों से वर्ष की गई जय जय श्री राम का जय घोष किया गया प्रभु श्री रामचंद्र जी ने अपने तीर चला कर रावण के पुतले का वध किया सभी राम भक्तों ने बधाई संदेश दशहरे पर्व की बधाई संदेश दिया प्रभु श्री राम के साथ रावण लक्ष्मण जी के फोटो सेल्फी लेने वालों की दर्शकों की भीड़ लगी राम रावण के युद्ध के बाद परंपरागत तरीकों से रावण मेघनाथ कुंभकरण का पुतला जलाया गया दोपहर में बारिश के कारण दशहरा मैदान गीला हो गया था तेज बारिश के कारण त्योहार फीका पड़ गया था पटाखे और रावण कुंभकरण मेघनाथ के पुतला को जलाने के लिए डीजल पेट्रोल का इंतजाम कर रावण दहन किया गया इस अवसर पर भिलाई के समाज सेवी गणमान्य नागरिक दशहरा पर्व के कार्यक्रम में उपस्थित थे

दशहरा: पौराणिक कथा और महत्व प्रभु श्री राम भक्त समाजसेवी प्रशांत कुमार क्षीरसागर ने बताया
दशहरा का सबसे प्रमुख और प्राचीन संदर्भ रामायण से जुड़ा हुआ है। यह त्योहार भगवान राम की लंका के राजा रावण पर विजय के रूप में मनाया जाता है। रामायण के अनुसार, भगवान राम ने रावण का वध करके धर्म, सत्य और न्याय की जीत का प्रतीक प्रस्तुत किया। इस दिन को अच्छाई की बुराई पर जीत के रूप में मनाया जाता है।

1. रामायण और रावण वध

रामायण के अनुसार, भगवान राम, जो अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र थे, ने अपनी पत्नी सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए लंका पर चढ़ाई की थी। रावण, जो लंका का राजा था और एक महान विद्वान था, ने सीता का हरण कर लिया था। भगवान राम ने हनुमान, लक्ष्मण और अपनी सेना की सहायता से रावण की विशाल सेना का मुकाबला किया और अंततः रावण का वध किया। रावण के दस सिर थे, जो दस बुराइयों – काम, क्रोध, मोह, लोभ, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और अधर्म का प्रतीक थे। राम ने इन दस सिरों को नष्ट करके अच्छाई की जीत का संदेश दिया।

नीलकंठ पक्षी के दर्शन करने का धार्मिक महत्वदशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन करने का महत्व भगवान राम के लंका पर विजय के साथ जुड़ा हुआ है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान राम लंकापति रावण का अंत करने जा रहे थे, उससे पहले रामजी को नीलकंठ पक्षी के दर्शन किए थे, इसके बाद ही रावण पर विजय प्राप्त की थी। इसलिए नीलकंठ पक्षी को शुभ और विजय का संकेत माना गया है।

Dussehara 2024 : विजय दशमी का पर्व भारत में असत्य पर सत्य की विजय के रूप में जाना जाता है। विजय दशमी के अवसर पर सोना पत्ती (शमी के पेड़ की पत्तियाँ) बांटने की परंपरा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत खास है। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है, और इसे समाज में शुभ व समृद्धि का प्रतीक माना जाता है


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