मंडई एवं मेला हमारी पुरातन संस्कृति की पहचान,19 व 20 नवंबर को दो दिवसीय मंडाई ग्राम खलारी में - दीपक आरदे (प्रभावशाली व्यक्ति, समाजसेवी, एवं ग्रामीण)
बालोद (दल्लीराजहरा) - हमारे राज्य के मड़ई का इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है। दीपक आरदे (प्रभावशाली व्यक्ति, समाजसेवी,एवं ग्रामीण) ने कहा कि बोलचाल की सामान्य भाषा में मड़ई शब्द का अर्थ मेलजोल व भेंट से होती है। मड़ई हमारी संस्कृति की विरासत है जिसे हम एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित करते हुए चले आ रहे हैं। मड़ई मेले हमारे छत्तीसगढ़ के ग्रामीण जीवन और त्योहारों का प्रतिबिंब है। राज्य की अन्य प्रसिद्ध मड़ई मेलों के साथ-साथ कुसुमकसा क्षेत्र के ग्राम खलारी में मंडाई मेला का आयोजन 19 नवंबर को किया गया,जिसमें ग्रामवासियों ने सभी प्रदेश,व क्षेत्रवासियों को आमंत्रित करते हुए शामिल होने अनुग्रह किया है।
मंडाई मेले के दिन रात्रिकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम की भी झड़ी ग्राम व आस पास के गांव में लगने वाली है,ग्राम खलारी में छत्तीसगढ़ी नाचा पार्टी - महतारी के आंसू (आबगड़ चौकी राजनांदगांव) का आयोजन किया गया है।
वहीं कुम्हारपारा में छत्तसीगढ़ी नाचा पार्टी उदय किरण बाधा बाजार आबगड़ चौकी राजनांदगांव का आयोजन किया गया है। साथ ही नयापारा में छत्तीसगढ़ी नाचा पार्टी - पूजा के फूल (खलारी डोंडी जिला बालोद) किया गया है।
साथ ही हाथीगोर्रा में छत्तीसगढ़ी नाचा पार्टी - चंपा चमेली (कुर्रा राजनांदगांव) का आयोजन किया गया है।
साथ ही ग्राम आडजाल में छत्तीसगढ़ी नाचा पार्टी बूटा कसा चौकी का आयोजन किया गया है।
आत्माराम दुग्गा,बिंदु रावटे, मन्नू गावर,उदय भूआर्य,देवेंद्र सिग्रामे सहित ग्रामीणों ने इस सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लेने सभी से आग्रह किया है।