हरि श्री संत ज्ञानेश्वरी संजीवनी समाधि सोहला के प्रथम दिवस

हरि श्री संत ज्ञानेश्वरी संजीवनी समाधि सोहला के प्रथम दिवस

हरि श्री संत ज्ञानेश्वरी संजीवनी समाधि सोहला के प्रथम दिवस
हरि श्री संत ज्ञानेश्वरी संजीवनी समाधि सोहला के प्रथम दिवस
हरि श्री संत ज्ञानेश्वरी संजीवनी समाधि सोहला के प्रथम दिवस श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज जी की कलश स्थापना मूर्ति फोटो पूजा अर्चना अभिषेक कर दीपमाला जलाकर फूलों से श्रृंगार कर श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज जी का कार्यक्रम की शुरुआत की गई आज द्वितीय दिवस के कार्यक्रम में पूजन कार्य एवं पंचपदी भजन एवं शाम को श्री तुकाराम निकुम महाराज माऊलि महाराष्ट्र कीर्तनकार जी एवं श्री संत सेवा समिति नागपुर महल रोड भजन मंडली के द्वारा हरि पाठ भजनकिया गया हरि हरि पाठ में श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज जी के 28 अभंग के बारे में जानकारी दी गई श्री संत ज्ञानेश्वर जी का नाम अर्थ है ज्ञान के भगवान श्री संत ज्ञानेश्वर महाराज रूप पाहता लोचनी सुख झाले ओ सजनी दोहा विट्ठल भरवा दोहा माधव बरवा सुंदर अभंग सुनाया गया जय जय हरी विठ्ठल जय जय पांडुरंग जय जय राम कृष्ण हरिमहाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में पैठण के पास आपेगांव में संत ज्ञानेश्वर का जन्म ईस्वी सन् 1275 में भाद्रपद के कृष्ण अष्टमी को हुआ था। उनके पिता विट्ठल पंत एवं माता रुक्मिणी बाई थींसंत ज्ञानेश्वर महाराज के जीवन में कई चमत्कार हुए थे: 

एक बार एक किसान अपने भैंसे को ले जा रहा था जिसका नाम 'ज्ञानू' था. आचार्य ने ज्ञानेश्वर से पूछा कि ज्ञानू और तुममें कोई अंतर है या नहीं. ज्ञानेश्वर ने कहा कि नहीं, दोनों का शरीर पंचतत्वों से बना है और दोनों में एक ही चेतना है. आचार्य ने फिर कहा कि अगर ऐसा है, तो इस भैंसे से वेद बुलवा कर दिखाओ. ज्ञानेश्वर ने भैंसे के सिर पर हाथ रखा और भैंसा ऋग्वेद की ऋचाओं का उच्चारण करने लगा. 
एक बार चांगदेव नाम के एक निपुण योगी ने ज्ञानेश्वर को चुनौती दी थी. चांगदेव बाघ पर सवार होकर किसी करतब को करने आया था. ज्ञानेश्वर ने चलती दीवार पर सवार होकर चांगदेव को विनम्र बना दिया. 
ज्ञानेश्वर ने अपनी पीठ पर रोटियां सेक दी थीं. 
उन्होंने निर्जीव दीवार को चला दिया था. 
संत ज्ञानेश्वर महाराज ने भगवद्गीता पर भावार्थ दीपिका नामक टीका लिखी थी. इसे मराठी पद्य रूप में श्री ज्ञानेश्वरी के नाम से ज़्यादा जाना जाता है.

ह भ प श्री नथूजी कोरडे,श्री गुणवंत हमदापुरे, श्री श्रीकांत भुताड, श्री नंदू महाराज वरलीकर, श्री प्रकाशराव शेळके, श्री गुरुदेव, श्री श्रीधर कोरडे, श्री जयंताजी उपगडे, श्री गोपाल श्रीखंडेश्री शंकर राव पावडे मुंबई श्रीधर कोर डेश्री शंकर राव पावडे मुंबई श्रीधर कोर डेश्री विजय ज्योति माहुरकर राजेश लता माहुरकर अजय अजय वैशाली माहुरकर कैलाश धर से एमके पाटिल प्रशांत उषा क्षीरसागर लीलाबाई वानखेडे राजेश वानखेडे समस्त श्री ज्ञानेश्वर महाराज भक्ति प्रेमी उपस्थित थे

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