वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.अशोक आकाश शहीद दुर्वाशा लाल निषाद सम्मान से सम्मानित
अगासदिया कंगला मांझी सम्मान समारोह सम्पन्न
छः विभूतियों के साथ बालोद के साहित्यकार डॉ.अशोक आकाश हुए सम्मानित
06 दिसंबर को गौरव ग्राम बघमार में छत्तीसगढ़ के महान आदिवासी संगठनकर्ता एवं जागृति के अग्रदूत हीरासिंह देव उर्फ कंगला मांझी पर केन्द्रित अगासदिया सम्मान समारोह सम्पन्न हुआ। इस समारोह में छत्तीसगढ़ के छः विशिष्ट जनों को सम्मानित किया गया।
आदिवासी गांव से निकलकर आगे बढ़े चूड़ामणि पात्र को अगासदिया कंगला मांझी सम्मान दिया गया। स्वयंसिद्धा संगठन प्रमुख, साहित्यकार कलाकार डॉ. सोनाली चक्रवर्ती को छत्तीसगढ़ की महान विभूति मिनीमाता स्मृति सम्मान प्रदान किया गया। चर्चित बाल गीतकार कमलेश चंद्राकर को यशस्वी रचनाकार नारायण लाल परमार सम्मान तथा चोवाराम बादल को छत्तीसगढ़ी रामायण लेखन के लिए संत पवन दीवान सम्मान दिया गया। उपन्यासकार कवि अनुवादक रायगढ़ के पास गांव के रचनाकार रामनाथ साहू को छत्तीसगढ़ की अस्मिता के गायक हरिठाकुर स्मृति सम्मान तथा बालोद जिले के चर्चित कवि किन्नर व्यथा, सांध्य-दीप लेखन से चर्चित साहित्यकार डॉ.अशोक आकाश को शहीद दुर्वाशालाल निषाद सम्मान दिया गया।
सम्मान कंगला मांझी की अर्धांगिनी राजमाता फुलवा देवी कांगे, अगासदिया के अध्यक्ष डॉ. परदेशीराम वर्मा, शहीद दुर्वाशालाल के पिता मुनीलाल निषाद, पूर्व आई.ए.एस. बी.एल. ठाकुर, हलबा समाज के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष लेखक जी. आर. राना, राजकुमारी कांगे, कुंभदेव कांगे, डॉ. रजनी नेल्सन, शिक्षाविद् स्मिता वर्मा ने दिया।
विभूतियों को स्मृति चिन्ह सम्मान पत्र देकर कंगला मांझी के हजारों सैनिकों के बीच आदिवासी नृत्य के साथ भावपूर्ण सम्मान प्रदान किया गया। राजमाता फुलवा देवी ने स्मृति चिन्ह भेंट कर किया। अपने उद्बोधन में राजमाता फुलवा देवी ने कहा कि अगासदिया सम्मान 2007 से लगातार यहां दिया जाता है। साथ ही मांझी जी पर पुस्तक प्रकाशन भी होता है। इस बड़े सार्थक सहयोग के लिए साहित्यकार डॉ. परदेशीराम वर्मा को हमने 2022 में कंगला मांझी शौर्य सम्मान प्रदान कर सम्मानित किया है।
साहित्यकार डॉ. परदेशीराम वर्मा ने सम्मानित विभूतियों का परिचय दिया। इस अवसर पर राजकुमारी कांगे लिखित पुस्तक आगमन का विमोचन हुआ। यह पुस्तक कंगला मांझी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर है। जी. आर. राना लिखित पुस्तक अखण्ड भारत का विमोचन भी हुुआ। पूर्व आई.ए.एस. आदिवासी समाज के गौरव बी. एल. ठाकुर ने कहा कि हमारा आदिवासी समाज दाता और रक्षक हैं। यह समाज स्वाभिमान से जीता है। किसी के अधिकार को छीनता नहीं है। यह आदिवासी समाज अब जागृत होकर विराट शक्ति के साथ आगे जा रहा है। कंगला मांझी महोत्सव के आयोजक जागृति का काम कर रहे हैं। साहित्यकार डॉ. परदेशीराम वर्मा का यह योगदान उनका आदिवासी समाज के प्रति प्रतिबध्दता को दर्शाता है।
जी. आर. राना ने कहा कि आदिवासी समाज संस्कृति और राष्ट्रीय सम्पत्ति तथा मान-सम्मान गौरव की रक्षा के लिए संगठित है। वह देना जानता है वह दाता है। लेकिन इस समाज को और एकताबध्द होना चाहिए। अगासदिया ने सदैव छत्तीसगढ़ के गौरव के लिए काम करने वालों को सम्मानित किया है। यह बहुत बड़ा काम है। राजिम से पधारे साहित्यकार एवं कलाकार दिनेश चौहान ने मांझी जी का चित्र बनाकर माताजी को भेंट किया ।
इस अवसर पर संदीप चक्रवर्ती, रितुपर्णा चंद्राकर, बसंती वर्मा, उषा वर्मा, दिनेश चौहान अतिथि रूप में उपस्थित थे। राजिम से पधारे स्वामी चित्रानंद ने संत पवन दीवान के गीतों को प्रस्तुत कर समा बांध दिया। महेश वर्मा एवं राजेन्द्र साहू के नेतृत्व में लोक मया कुम्हारी के कलाकारों की शानदार प्रस्तुति सराही गई। जगदलपुर के कलाकारों ने मंच पर भी प्रदर्शन दिया। कवि बुटूराम पुर्णे, शमीम अहमद सिद्दीकी, महिलांगे वीरेन्द्र अजनबी, देवनारायण नगरिहा, अशोक आकाश, चोवाराम बादल, रामचरण उइके ने काव्य पाठ किया। मंच संचालन महेश वर्मा, राजीव उइके ने किया। छत्तीसगढ़ महतारी वंदना राजेन्द्र साहू ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर अतिथियों को अगासदिया की ओर से माता कौशल्या स्मृति चिन्ह भेंट कर नीतीश वर्मा ने सबका सम्मान किया।
कुंभ देव कांगे ने आभार व्यक्त करते हुए देश के विभिन्न प्रान्तों से आए मांझी सैनिक तथा आयोजन से जुड़े समस्त साथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि 05 दिसंबर को मांझी जी की चालीसवें पुण्यतिथि पर उन्हें श्रध्दांजलि दी गई। दस मांझी सैनिक इस दिन सम्मानित भी हुए। 07 दिसम्बर को पारंपरिक मड़ई होता है। 08 दिसंबर को देव पूजा के बाद सादर बिदाई होती है। पूरी परम्परा के साथ मांझी महोत्सव का आयोजन प्रति वर्ष किया जाता है।