भगवान श्री दत्त की मनाई गई श्री दत्त जयंती 24 वर्ष के अवसर पर

भगवान श्री दत्त की मनाई गई श्री दत्त जयंती 24 वर्ष के अवसर पर

भगवान श्री दत्त की मनाई गई श्री दत्त जयंती 24 वर्ष के अवसर पर

भगवान श्री दत्त की मनाई गई श्री दत्त जयंती 24 वर्ष के अवसर पर

दत्त जयंती पालखी शोभायात्रा निकाल कर मनाई ढोल नगाडा नगर भ्रमण किया गया

श्री सांई बाबा सेवा संस्थान हाउसिंग बोर्ड में पूजा अर्चना करतीं भक्तजन


भिलाई। श्री श्रद्धा सुमन सांई बाबा सेवा संस्थान हाउसिंग बोर्ड आद्योगिक क्षेत्र में श्री दत्त जयंती मनाई गई। इस अवसर पर साई मंदिर में सुबह सुबह काकड़ आरती, महाअभिषेक और पूजा-अर्चना के साथ ही श्री दत्त जयंती जका ग्रंथ पाठ किया गया। वहीं श्रद्धालुओं के द्वारा ग्रंथ पाठ किया गया। मंदिर के पंडित श्री अंशू तिवारी जी सत्यनारायण की कथा सुनाई कथा भगवान सत्यनारायण जी की कथा अपने जीवन में अवश्य करने चाहिये इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथी के रूप में विधायक रिकेश सेन श्री दत्तात्रेय भगवान श्री साईनाथ महाराज की पूजा अर्चना की फूल माला पहना कर आशीर्वाद आशीर्वाद लिया पण ती मे बैठे सभी दत्त भक्त जणू स्वयं भोजन हलवा पुरी का प्रसाद बाटा गया श्री दत्तात्रेय भगवान की जय हो श्री साईबाबा की जय हो जय हो जय घोष किया गया पूजा के बाद आरती प्रसाद के बाद हलवा पुरी मिठाई प्रसाद का वितरण किया गया साई भजन ओ की आर्केस्ट्रा के द्वारा सुंदर प्रस्तुती दी गई सुंदर भजन भक्त सुनाये गये

भगवान की पूजा-अर्चना की। इस अवसर पर मंदिर के पंडितजी के द्वारा श्रीदत्त भगवान की प्रभजन की प्रस्तुति हुई। इसके साथ ही उनके जीवन में किए गए भक्ति कार्य और अभंग कथा सुनाई एवं प्रसाद का वितरण किया गया। कार्यक्रम में महिला मंडल भजन श्री दतं जयंती पर भजन गीत सुंदर प्रस्तुति दी श्री दत्तात्रेय भगवान भक्त प्रशांत कुमार क्षीरसागर ने बताया भगवान दत्तात्रेय ब्रह्मा-विष्णु-महेश के अवतार माने जाते हैं। भगवान शंकर का साक्षात रूप महाराज दत्तात्रेय में मिलता है और तीनो ईश्वरीय शक्तियों से समाहित महाराज दत्तात्रेय की आराधना बहुत ही सफल और जल्दी से फल देने वाली है। महाराज दत्तात्रेय आजन्म ब्रह्मचारी, अवधूत और दिगम्बर रहे थे।भगवान दत्तात्रेय को परब्रह्मामूर्ति, सद्गुरु और श्रीगुरुदेवदत्त भी कहा जाता है। मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मा, विष्णु और महेश की विचारधारा के विलय के लिए ही भगवान दत्तात्रेय ने जन्म लिया। यहीं कारण है कि उन्हें त्रिदेव का स्वरुप माना जाता है। भगवान दत्तात्रेय ने अपने कई गुरु बनाए हैं। उन्हें कई गुरुओं का आश्रय लिया। बताया जाता है कि इनके पूरे 24 गुरु थे। इनके गुरुओं में पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, समुद्र, चंद्रमा, आकाश, सूर्य सहित आठ प्राकृतिक तत्व हैं। इसके अलावा उन्होंने कई जीव जंतुओं को भी अपने गुरु के रूप में स्वीकार किया था। जैसे पतंगा, मछली, कौआ, हिरण, सांप, हाथी, मकड़ी, सहित इनके 12 गुरु थे। इसके अलावा इन्होंने बालक, लोहार, पिंगला नामक वेश्या और कन्या को भी अपने गुरु के रूप में स्वीकार किया था। भगवान दत्तात्रेय मे कहा है कि हमें जिस किसी से भी ज्ञान मिले वह हमे विवेक के साथ हमे ग्रहण कर लेना चाहिए और जिसे भी ज्ञान की प्राप्ति हो उसे अपना गुरु मान लेना चाहिए।

श्रद्धा सुमन साई मंदिर समितीचे अध्यक्ष श्री विशाल भारती देशमुख अर्चना मुले सहपरिवार प्रशांत उषा क्षीरसागर रुद्र पियुष क्षीरसागर शंकरराव भातुलकर अरुणराव खाडे जी नितिन देवतले, जयंत देवाले, होगेन्द्र सिंग, माधवा खातपुते, सतीश वाघमारे, अंकुश ऑगई, अंकुश इखार, मयूर देशमुख, सरिता देवतले. स्वेता थुतकर, कल्पना वाघमारे, मनीषा सातपुते, रथि देशमुख, के. प्रदीप, प्रोभ देवताले, ओम देवतले रजत सातपुते एवं समस्त साई मंडली . के द्वारा विशेष सहयोग एवम प्रसाद वितरण मे भागीदारी सहयोग किया श्री दत्तात्रय भगवान की जय श्री साईनाथ महाराज की जय

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