कृष्णा साहू फिर बने प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट पीठ चाइल्ड वेलफेयर कमिटी बालोद के चेयर पर्सन

कृष्णा साहू फिर बने प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट पीठ चाइल्ड वेलफेयर कमिटी बालोद के चेयर पर्सन

कृष्णा साहू फिर बने प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट पीठ चाइल्ड वेलफेयर कमिटी बालोद के चेयर पर्सन

कृष्णा साहू फिर बने प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट पीठ चाइल्ड वेलफेयर कमिटी बालोद के चेयर पर्सन


छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किशोर न्याय अधिनियम (बालको के देखरेख एवं संरक्षण )अधिनियम 2015 के तहत राज्य स्तरीय चयन समिति की अनुशंसा से प्रदेश के सभी जिलों में बाल कल्याण समिति के अध्यक्षों और सदस्यों की नियुक्ति कर दी गई है। इसी कड़ी में कृष्णा साहू को पुनः बालोद चाइल्ड वेल फेयर कमिटी के अध्यक्ष बनाया गया है। उनके साथ ही पीठ में चार सदस्यों श्रीमती यशोदा साहू, श्रीमती दुखिया निषाद, चन्द्रहास साहू की भी नियुक्ति की गई है। 

इसके साथ ही किशोर न्याय बोर्ड में भी दो सामाजिक कार्यकर्ताओं के रूप में श्रीमती गायत्री साहू और श्रीमती मनीषा यादव की भी नियुक्ति की गई है।

जवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 के अनुसार बाल कल्याण समिति में प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट पीठ की शक्तियां निहित होता है। जहाँ 18 वर्ष के कम उम्र के नाबालिग देख रेख और संरक्षण के जरूरतमंद बच्चों का उपचार विकास और पुनर्वास किया जाता है।

जिला बाल कल्याण समिति का एक कार्यालय होता है जहाँ ऐसे बालक बालिकाओं को प्रस्तुत किया जाता है..। पीठ के समक्ष आने वाले बच्चों को सर्व प्रथम समिति द्वारा समुचित जाँच के पश्चात् देख रेख और संरक्षण की जरुरत मंद घोषित करती है उसके पश्चात् आवश्यकतानुसार आगे की कार्यवाही करती है। साथ ही समिति लैंगिक अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम (पाक्सो एक्ट ) के तहत पीड़ित बालिकाओं के पहचान की गोपनीयता को बनाये रखते हुए देखरेख, संरक्षण, उपचार,विकास और पुनर्वास का कार्य करती है।


किस प्रकार के बालको को समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है.....

 ऐसे बालको का अभिप्राय  

निश्चित निवास स्थान और जीवन निर्वाह के साधनों का अभाव हो...।

श्रम कानून का उल्लंघन या भिक्षा वृत्ति में संलिप्त हो...।

जिसके साथ रहता है वो व्यक्ति बाल अपराधों में संलिप्त हो या उससे उक्त बालक को शोषण, दुर्व्यवहार, मृत्यु का खतरा हो।

शारीरिक मानसिक या असाध्य रोग से पीड़ित जिसकी सहायता करने हेतु कोई नही है या असमर्थ है।

जिसका परित्याग या अभ्यर्पण किया गया हो।

गुमशुदा या भागा हुआ बालक।

लैंगिक दुर्व्यवहार या शोषण से पीड़ित या सम्भावना वाले बालक।

मादक द्रव्य और अवैध व्यापार मे संलिप्त बालक।

प्राकृतिक आपदा या सशस्त्र संघर्ष से पीड़ित या प्रभावित बालक।

बाल विवाह किये जाने की सम्भावना वाले बालक।

समिति के समक्ष ऐसे बच्चों को कौन प्रस्तुत कर सकता है :-

1.किसी पुलिस अधिकारी या बाल कल्याण समिति के अधीन किसी अधिकारी द्वारा 

2.किसी लोक सेवक द्वारा 

3.राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त एजेंसी द्वारा या किसी गैर सरकारी संगठन द्वारा 

4.बालक कल्याण अधिकारी या परिविक्षा अधिकारी द्वारा 

5.किसी सामाजिक कार्यकर्ता या लोक भावना से युक्त नागरिक द्वारा 

6.स्वयं बालक द्वारा 

7.किसी नर्स, डॉक्टर, परिचर्चा गृह, अस्पताल या प्रसूति गृह के प्रबंध तंत्र द्वारा

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