शांति और प्रिय रूप से मनाया जाना चाहिए होली पर्व:–आशीष गुप्ता

शांति और प्रिय रूप से मनाया जाना चाहिए होली पर्व:–आशीष गुप्ता

शांति और प्रिय रूप से मनाया जाना चाहिए होली पर्व:–आशीष गुप्ता

शांति और प्रिय रूप से मनाया जाना चाहिए होली पर्व:–आशीष गुप्ता

आप सभी को होली पर्व की शुभकामनाएं


दल्लीराजहरा:– नगर के युवा समाज सेवी चिखलाकसा निवासी ने नगर वासियों से विनम्र अपील करते हुए कहा है कि होली पर्व को बिना मंदिरापन किए अपने अपने परिवारजनो के साथ,रिश्तेदारों के साथ और दोस्तों के साथ हर्षा उल्लास के साथ मनाया जाना चाहिए।होली सिर्फ पर्व ही नहीं बल्कि ये पर्व करोड़ों भारतवासियों से जुड़ी आस्था और भक्ति का त्यौहार है। इस दिन हम लोगों को अपनी आपसी मतभेदों को भूलकर खुशहाली जीवन जीने की राह पर चलने का संकल्प लेना चाहिए।

- होली से जुड़ी प्रमुख बाते - 

होलिका दहन का पावन पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। कहते हैं यह वही दिन है जब राक्षस राजा हिरण्यकश्यप की बहन होलिका ने भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को अग्नि में जलाने की कोशिश की थी लेकिन श्री हरि विष्णु भगवान की कृपा से प्रहलाद तो बच गए लेकिन उसी अग्नि में होलिका जलकर राख हो गई।

भगवान श्रीकृष्ण ने पूतना का वध फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन किया था. तब से होली मनाई जाने लगी. शिव-पार्वती और कामदेव की कथा एक कथा में बताया गया है कि जो संसार की पहली होली थी, वो भगवान भोलेनाथ ने खेली थी.
राधा कृष्ण के प्रेम का प्रतीक मानी जाने वाली होली की शुरुआत बरसाने में हुई थी. कहा जाता है कि जब राधा और कृष्ण बचपन में थे, तो वे अपने दोस्तों के साथ मिलकर रंगों से खेलते थे. यह खेल उनके प्रेम और स्नेह का प्रतीक था, जो आज भी होली के रूप में मनाया जाता है.

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